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________________ (१८२५) स्फटिकमूर्तिः संवत् १८७७ मा। सु० १३ प्र। ख। श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। (१८२६) पार्श्वनाथ-पंञ्चतीर्थी सं० १८७७ माघ शुक्ल पूनम बुधे श्रीपार्श्वनाथजिनबिंबं कारितं। प्र० । वृ०। भ०। ख। श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः। (१८२७) शान्तिनाथः संवत् १८७७ वर्षे माघ सुदि..........यदेतीयस श्रीशांतिनाथबिंबं कारितं चारित्रउदय उपदेशात् श्रीमद्धृहत्खरतरगच्छे । जं। यु। श्रीजिनाक्षयसूरि पदस्थ...................श्रीजिनचन्द्रसूरिभिः बुद्धितराभूयात् ॥ (१८२८) कुन्थुनाथः ___ सं० १८७७ मि० फा० शु० १३ श्रीकुन्थुनाथजिनबिंबं टू० विसनचंदेन कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजिनहर्षसूरिभिः (१८२९) पार्श्वनाथः संवत् १८७७ वर्षे मिति फाल्गुन सुदि १३ श्रीपार्श्वनाथबिंबं दूगड़......... भार्या फत्ति नान्या वाचक चारित्रनन्दनगणि उपदेशेन कारितं प्रतिष्ठितं ॥ श्री. (१८३०) पार्श्वनाथः संवत् १८७७............श्रीपार्श्वबिंबं प्रतिष्ठितं श्रीजिनहर्षसूरिणां कारितं.............सावंत सिंहज पदार्थमल्लेन........। (१८३१) जिनचन्द्रसूरि-पादुका संवत् १८७७ का मिति चुत वदि १० यु श्रीदादाजिनचन्द्रसूरिजि संचेती ध०हरखचंदजी (१८३२) गुणकल्याणगणि-पादुका ....................७८ मिती आषाढ़ सु० ७ बृ० खरतरगच्छे वा० गुणकल्याणगणि पादुके पं० प्र० युक्तिधर्म क..... १८२५. लाभचंद जी सेठ का घर देरासर, पुलिस हास्पिटल रोड़, कलकत्ता : पू० जै०, भाग २, लेखांक १००७ १८२६. श्रीमालों का मंदिर, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४४४ १८२७. श्रीमालों की दादाबाड़ी, जयपुर : प्र० ले० सं०, भाग २, लेखांक ४४३ १८२८. पंचायती मंदिर, मिर्जापुर : पू० जै०, भाग १, लेखांक ४३४ १८२९. मूलमंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : भँवर० १८३०. श्वे. जैन मंदिर, मधुवन, सम्मेतशिखर : पू० जै०, भाग १, लेखांक ३३९ १८३१. लीलाधर जी का उपाश्रय, जयपुरः प्र० ले०, सं०, भाग २, लेखांक ४४० १८३२. रेलदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २०८० (३२२) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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