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________________ (१६८७) जिनचन्द्रसूरि-पादुका कृत्वा दिग्विजय विहारविधिना पूर्वादिनिवृत्सुयैर्द्धर्मस्थानविधापनादिशुभचैत्यादिनिर्मापयत् श्रीमत् सूरतबंदरे सुकृतिभिः श्रीस्वर्गति संस्थिता श्रीजिनलाभसूरिजिः जिनचंद्रसूरि गुरवः स्यु शर्मदा सर्वदा।१ सं० १८५६ मिते फाल्गुण सुदि..... श्रीबृहत्खरतरगच्छाधीश्वर श्रीजिनलाभसूरि पट्टप्रभाकर समयोचित........लवाद्रमय चि........निखिलभट्टारक शिरोमणि श्रीजिनचंद्रसूरिणा पादन्यासः श्रीसंघकारित प्रतिष्ठितं च श्री (१६८८) एकादशजिन-पादुका सं० १८५७ मिति चैत्रक मासे कृष्ण पक्षे षष्ठ्यां कर्मवा० पूज्य भट्टारक श्रीजिनहर्षसूरि विजयराज्ये श्रीसिंहपूरग्रामे तेषां केवलोत्पत्तिस्थाने गांधि गोत्रीय मयाचंद प्रमुख समस्त श्रीसंघेन श्री श्रेयांसाख्यानामेकादशानां लोकनाथानां पादन्यास: कारितः प्र० श्रीजिनलाभसूरीणां शिष्यै उपाध्याय श्रीहीरधर्म गणिभिः खरतरगच्छे। (१६८९) शालालेखः सं० १८५८ वर्षे पो० वदि पंचमी भ। श्री १०८ श्रीजिनहर्षसूरिजी राज्ये श्रीकीर्तिरत्रसूरिशाखायां वाचक श्री १०८ श्री जिनजयजी गणि शिष्योपाध्याय श्री १०६ श्रीक्षमामाणिक्यजिद्गणिना पृष्ठे पुण्यार्थेयं शाला वाचक विद्याहेमेन कारिता श्रीबृहत्खरतरगच्छे। (१६९०) शालालेखः सं० १८५८ रा........................तिथौ श्री ...........................श्रीजिनहर्षसूरि..... शिष्य वा० विद्याहेम गणिना कारापिता। (१६९१) उपाश्रय-लेखः (१) पृथ्वी तल माहे प्रगट: बड़ा नगर बीकांण। (२) सूरतसींह महाराजजुः राज करै सुविहाण॥१॥ (३) गुणी क्षमामाणिक्य गणि: पाठक पुण्यप्रधान। (४) वाचक विद्याहेम गणिः सुप्रत सुख संस्थान॥२॥ (५) सय अठार गुणसठ्ठ में महिरवान महाराज (६) नव्य बनाय उपासरो दियो सदा थित काज॥३॥ १६८७. खरतरवसही, शत्रुज्जयः भँवर (अप्रका०), लेखांक ७५ १६८८. श्रेयांयनाथ जिनालय, सिंहपुरी तीर्थ, वाराणसी: पू० जै०, भाग १, लेखांक ४२५ १६८९. रेलदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २१०४ १६९०. शाला नं० २, रेलदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २१०५ १६९१. दानशेखर उपासरा, रांगड़ी चौक, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २५५० ; पू० जै०, भाग २, लेखांक १३४९ (३००) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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