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(१४२९) हर्षविशालगणि-पादुका __ सं० १६९४ वैशाख सुदि ३ दिने शुभवारे वा० श्रीहर्षविशालगणि-पादुके प्रतिष्ठितं सवाईभट्टारक युग० श्रीजिनरंगसूरिवचनैः महामहोपाध्याय श्रीज्ञानसमुद्रगणिशिष्यवा० ज्ञानराजगणिभिः॥
(१४३०) सुविधिनाथः सं० १६९४ फागुण वदि७ सोमे। चोपड़ागोत्रीय मंत्रि खीमराज पुत्र नेढा (मेहा?) भार्या जीवादेव्या पुत्ररत्न नरहरदास युतया श्रीसुविधिनाथबिंब कारितं प्रतिष्ठितं युगप्रधान श्रीजिनराजसूरिभिः
(१४३१) पुंडरीक-मूर्तिः ॥ सं० १६९४ वर्षे फागुण वदि ७ दिने राखेचागोत्रीय सा० करमचंद भार्या सजनादेव्या श्रीपुण्डरीकबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं श्रीजिनराजसूरिराजैः
(१४३२) सुपार्श्वनाथ: ___ सं० १६९५ वर्षे मार्गशिर वदि ४ गुरुवारे खरतरगच्छे विक्रमपुरे श्रा.......छा श्रीसुपार्श्वनाथ कायोत्सर्ग सू० प्रतिमा कारिता प्रतिष्ठिता
(१४३३) महावीर-पादुका स्वस्ति श्रीजयमंगलाभ्युदयश्च ॥ श्री गौतमस्वामिनो लब्धिः। संवत् १६९७ वैशाख सुदि ५ सोमवासरे॥ श्री विहारनगरवास्तव्य श्रीऋषभजिनेश्वर-प्रथमपुत्र श्रीभरतचक्रवर्ति राजानमुख्य मंत्रिदलसंतानीय महतीयाणज्ञाती मुख्य चोपड़ागोत्रीय संघनायक मं० संग्राम । राहदिआगोत्रीय संघ० परमाणन्द प्रमख श्री बहतखरतरगच्छीय नरमणिमण्डितभालस्थल श्रीजिनचन्द्रसूरिप्रतिबोधित महतीयाण-श्रीसंघ-कारित श्रीवीरजिननिर्वाणभूमि श्रीपावापुरी समीपवर्त्ति वरविमानानुकार-श्रीवीरजिनप्रासादभूमौ धाम प्रतिष्ठितं श्रीमहावीर-वर्द्धमानश्रीजिनराजपादुके महतियाणश्रीसंघेन कारिते। प्रतिष्ठिते च श्री बृहत्खरतरगच्छाधीश्वर श्रीशत्रुजयाष्टमोद्धारप्रतिष्ठाकार युगप्रधान श्रीजिनसिंहसूरिपट्टोदयगिरिदिनकर युगप्रधान श्रीजिनराजसूरिभिः॥ श्रीर्भवतु। श्रीकमललाभोपाध्यायाः पं० लब्धिकीर्ति राजहंसादि शिष्यसहिताः प्रणमंति।
(१४३४) नमिनाथ-एकतीर्थीः सं० १६९७ श्री नमिनाथ क० प्र० खरतरग० श्रीजिनसिंह सू..........
(१४३५) शिलालेखः (१) ॥एं।स्वस्ति श्रीसंवति १६९८ वैशाख सुदि ५ सोमवासरे। पातिसाह श्री साहिजांह सकलनूर १४२९. नवखंडा पार्श्वनाथ जिनालय, भोयरापाडो, खंभात : जै० धा० प्र० ले० सं० भाग २, लेखांक ८८१ १४३०. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी० लेखांक १४१७ १४३१. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी० लेखांक १४१५ १४३२. ऋषभदेव जी का मंदिर, नाहटों में, बीकानेर : ना० बी० लेखांक १४२० १४३३. जलमंदिर, पावापुरी : पू० जै०, भाग १ लेखांक १९० १४३४. गोलछों का मंदिर, सरदारशहर : ना० बी०, लेखांक २३९६ १४३५. जल मन्दिर, पावापुरी: पू० जै०, भाग २, लेखांक १६९६ (२५८)
खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रहः
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