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________________ युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि पादुका प्रति० श्रीधर्मनिधानोपाध्यायैः । गणधरगोत्रे । हरष पुत्र सा० तिलोकसीकेन पुत्र राजसी पुनसी भीमसी सहितेन प्रतिष्ठा कारिता। विनेय पंडित धर्मकीर्ति गणि वन्दते गुरुपादान् । श्री ५ सुखसागर गणि पं० समयकीर्ति गणि पं० सदारंग मुनि प्रमुखा: वन्दते पं० उदयसिंघ लि० । (१३०८) शिलालेखः संवत् १६७५ वर्षे वैशाख सुदि १२ श्रीअहमदावाद वास्तव्य चारभाइया गोत्रे ओसवालज्ञातीय श्रीपालसुत शाह चांपसी सुत शाह करमसी भारजा बाइ करमादे खरतरगच्छे ॥ पीपल्या ॥ शुभंभवतु ॥ (१३०९) आदिनाथ-पादुका ॥ सं० १६७५ वैशाख सुदि १३ तिथौ शुक्रवारे सुरताणनूरदीनजहांगीरसवाईविजयिराज्ये । श्रीअहम्मदा[वाद] वास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय लघुशाखाप्रदीपक सं० माईआ भार्या नाकू पुत्र सं० जोगी भार्या जसमादे पुत्ररत्न सकलसुश्रावककर्तव्यताकरणविहितरत्न सं० सोमजी भार्या राजलदे पुत्र संघपति रूपजीकेन भार्या जेठी पुत्र चि० उदयवंत बाई कोडी कुंअरि प्रमुखसारपरिवारसहितेन स्वयंकारितसप्राकार श्रीविमलाचलोपरि मूलोद्धारसारचतुर्मुखविहारशृंगारक श्रीयुगादिदेवप्रतिष्ठायां श्रीआदिनाथपादुके परमप्रमोदाय कारिते प्रतिष्ठिते च श्रीबृहत्खरतरगच्छाधिराजश्रीजिनराजसूरिसूरिशिरस्तिलकैः॥ प्रणमति भुवनकीर्तिगणिः॥ (१३१०) आदिनाथ: सं० १६७५ मिते सुरतामनूरदीनजहांगीरसवाईविजयराज्ये साहिजादासुरताणषोस[डू]प्रवरे श्रीराजीनगरे सोबईसाहियानसुरताणषुरमे वैशाख सित १३ शुक्रे श्रीअहम्मदावादवास्तव्य लघुशाखाप्रकटप्राग्वाटज्ञातीय से० देवराज भार्या [डू]डी पुत्र से० गोपाल भार्या राजू पुत्र से० राजा पुत्र सं० साईआ भार्या नाकू पुत्र सं० जोग भार्या जसमादे पुत्ररत्न श्रीशत्रुजयतीर्थयात्राविधानसंप्राप्तश्रीसंघपतितिलक नवीनजिनभवनबिंबप्रतिष्ठा साधर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रोप्तस्ववित्त सं० सोमजी भार्या राजलदे कुक्षिरत्न राजसभाशृंगार सं० [डू]पजीकेन पितृव्य सं० शिवा स्ववृद्धभ्रातृ रत्नजी पुत्र सुंदर[ दास] सपर लघुभ्रातृ षीमजी पुत्र रविजी स्वभार्या जेठी पु० उदयवंत पितामह भ्रातृ सं० नाथा पुत्र सं० सूर जी प्रमुखसार परिवार सहि तेन स्वयं समुद्धारितसप्राकारश्रीविमलाचलोपरि मूलोद्धरसारचतुर्मुखविहारशृंगारहारश्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीमहावीरदेवपट्टानुपट्टाविच्छिन्नपरंपरायातश्रीउद्योतनसूरि-श्रीवर्धमानसूरि-वसतिमार्गप्रकाशकश्रीजिनेश्वरसूरि - श्रीजिनचंद्रसूरि-नवांगवृत्तिकारक श्रीस्तंभनपार्श्वनाथप्रकटक- श्रीअभयदेवसूरिश्रीजिनवल्लभसूरि-देवताप्रदत्तयुगप्रधानपदश्रीजिनदत्तसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनपतिसूरि-श्रीजिनेश्वरसूरिश्रीजिनप्रबोधसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनकुशलसूरि-श्रीजिनपद्मसूरि-श्रीजिनलब्धिसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि श्रीजिनोदयसूरि-श्रीजिनराजसूरि-श्रीजिनभद्रसूरि-श्रीजिनचंद्रसूरि-श्रीजिनसमुद्रसूरि-श्रीजिनहंससूरिश्रीजिनमाणिक्यसूरि-दिल्लीपतिपातसाहि श्रीअक ब्बर प्रतिबोधक तत्प्रदत्तयुगप्रधानविरुदधारक सकलदेशाष्टाह्निकामारिप्रवर्तावक कुपित-जहांगीरसाहिरंजक तत्स्वमण्डलबहिष्कृतसाधुरक्षक युगप्रधान श्रीजिनचंद्र सूरि मंत्रिकर्मचंद्र कारित-सपादकोटि वित्तव्ययरूपनंदिमहोत्सवप्रकार कठिन १३०८. देहरी क्रमांक ९०/२, खरतरवसही, शत्रुजयः श० गि० द०, लेखांक ११५ १३०९. खरतरवही, शत्रुजयः प्रा० ० ले० सं०, भाग २, लेखांक १५ १३१०. चतुर्मख विहार, शत्रुजयः प्रा० जै० ले० सं०, भाग २, लेखांक १७ खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: (२३१) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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