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________________ काश्मीरादिदेशविहारकारक श्रीअकब्बरसाहिमन:-कमलभ्रमरानुकारक वर्षावधिजलधिजलजंतुजातघातनिवर्तक श्रीपुर गोलकुंडागजणाप्रमुखदेशामारि प्रवर्तक सकलविद्याप्रधान जहांगीर नूरदीनमहम्मदपातिसाहिप्रदत्तयुगप्रधानपद-श्रीजिनसिंहसूरि-पट्टालंकारक श्रीअंबिकावरधारक-तबलवाचितघंघाणीपुरप्रकटि तचिरंतनप्रतिमाप्रशस्ति-[व-] तर बोहित्थवंशीय सा० धर्म सी-धार लदे-दारक चतुःशस्रपारीणधुरीणशृंगारक भट्टारकवृंदारक श्रीजिनराजसूरिसूरिशिरो [ मुकुटैः॥] आचार्य श्रीजिनसागरसूरि । श्रीजयसोम महोपाध्याय श्रीगुणविनयोपाध्याय श्रीधर्मनिधानोपाध्याय पं० आनंदकीर्ति स्वलघुसहोदरवा० [भद्रसेनादिसत्परिकरैः॥] (१३११) शिलालेखः संवत् १६७५ प्रमिते सुरताणनूरदीनजहांगीरसवाईविजयराज्ये साहिजादा सुरताणषोस(डू)प्रवरे राजनगरे सोबइसाहियान सुरताणषुरमे ॥ वैशाख सित १३ शुक्रे । श्रीअहम्मदावादवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय से० देवराज भार्या (रू)डी पुत्र से० गोपाल भा० राजू पु० से० राजा पु० साईआ भा० नाकू पु० सं० जोगी भार्या जसमादे पुत्ररत्न० श्रीशत्रुजयतीर्थयात्राविधानसंप्राप्त-संघपतितिलक नवीनजिनभवनबिंबप्रतिष्ठासाधर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रोप्तस्ववित्त सं० सोमजी भार्या राजलदे कुक्षिरत्न संघपति(डू) पजीकेन पितृव्य सं० शिवा स्ववृद्धभातृ रत्नजी सुत सुंदरदास सपर लघुभ्रातृ खीमजी पुत्र रविजी पितामहभ्रातृ सं० नाथा पुत्र सूरजी स्वपुत्र उदयवंत प्रमुखपरिवृते न स्वयंसमुद्धत श्रीविमलाचलो परि मूलोद्धारसारचतुर्मुखविहार श्रृंगार श्रीआदिनाथबिंबं कारितं प्रतिष्ठितं च श्रीमहावीरदेवाविच्छिन्नपरंपरायात श्रीउद्द्योतनसूरि-श्रीवर्द्धमानसूरि-वसंतिमार्गप्रकाशकश्रीजिनेश्वरसूरि-श्रीजिनचन्द्रसूरि-नवांगवृत्तिकारक श्रीस्तंभनकपार्श्वप्रकट-श्रीअभयदेवसूरि-श्रीजिनवल्लभसूरि-युगप्रधान श्रीजिनदत्तसूरिपाद-श्रीजिनभद्रसूरिपादश्रीअकबरप्रतिबोधक तत्प्रदत्तयुगप्रधानपदधारक सकलदेशाष्टाह्निकामारिपालक षाण्मासिकाभयदानदायक युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरि मंत्रिकर्मचंद्रकारित श्रीअकबरसाहिसमक्षसपादशतलक्षवित्तव्ययरूप-नंदिमहोत्सववि(स्तार) विहितकठिनकाश्मीरादिदेशविहार मधुरतरातिशायि स्ववचनचातुरि रंजितानेकहिंदुकतुरुष्काधिपति श्रीअकबरसाहि श्रीकारश्रीपुरगोलकुंडागजणाप्रमुखदेशामारिप्रवर्तावक वर्षावधिजलधिजलजंतुघातनिवर्तावक सुरताणनूरदीनजहांगीरसाहिप्रदत्तयुगप्रधान श्रीजिनसिंहसूरि-पट्टप्रभाकर समुपलब्ध श्रीअंबिकावर बोहित्थवंशीय सा० धर्मसी-धारलदेनंदन भट्टारकचक्र चक्रवर्ति भट्टारकशिरस्तिलक श्रीजिनराजसूरिसूरिराजैः॥ श्रीबृहत्खरतरगच्छाधिराजैः । आचार्य श्रीजिनसागरसूरि पं० आनंदकीर्ति स्वलघुभ्रातृ वा० भद्रसेनादिसत्परिकरैः॥ (१३१२) शिलालेख संवत् १६७५ मिते सुरताणनूरदीनजहांगीरसवाईविजयराज्ये साहियादासुरताणषोस(डू)प्रवरे राजनगरे सोबईसाहियानसुरताणषुरमे वैशाख सित १३ शुक्रे श्रीअहम्मदावादवास्तव्य प्राग्वाटज्ञातीय से० सा० (डू) डी पुत्र से० गोपाल भार्या राजू पुत्र से० राजा पुत्र सं० साईआ भार्या नाकू पुत्र सं० जोगी भार्या जसमादे पु० श्रीश@जयतीर्थयात्राविधानसंप्राप्तसंघपतितिलक नवीनजिनभवनबिबसाधर्मिकवात्सल्यादिधर्मक्षेत्रोप्तस्ववित्त सं० सोमजी भार्या राजलदे पुत्ररत्न संघपति(डू) पजीकेन पितृव्य शिवा लालजी स्ववृद्धभ्रातृरत्न रत्नजी(पु०) सुंदरदास लघुभ्रातृ षीमजी सुत रविजी पितामहभ्रातृ सं० नाथा पुत्र सूरजी स्वपुत्र उदयवंत प्रमुख परिवारसहितेन १३११. चतुर्मुख विहार (चौमुखजी ट्रॅक), शत्रुजयः प्रा० जै० ले० सं०, भाग २, लेखांक १८ १३१२. चतुर्मुख विहार, शत्रुजयः प्रा० जै० ले० सं०, भाग २, लेखांक १९ (२३२) (खरतरगच्छ-प्रतिष्ठा-लेख संग्रह:) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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