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________________ (२) वास्तव्य राउल श्रीकल्याणदासजी विजयराज्ये कुंअर श्री : (३) मनोहरदास जी। सवाई युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरीश्वर । (४) पादुके कारिते युगप्रधान भट्टारक श्रीजिनसिंहसूरि ॥ श्रीख(५) रतरसंघेन तैव सर्वदा श्रीसंघस्य समुन्नतिसुखश्रेयोवृद्धि कृ(६) ते। वाचयेतामिति ॥ पं० उदयसिंघ लिपी कृतं ॥ श्री श्री श्रीः ॥ (१३०३ ) यु० जिनचन्द्रसूरि-पादुका ॥ संवत् १६७२ वर्षे वैशाख सुदि ९ सोमवारे भट्टारक सवाई युगप्रधान श्री श्री श्री श्रीजिनचंद्रसूरिपादुका प्रतिष्ठिता (१३०४) यु० श्रीजिनचंद्रसूरि - पादुका सं० १६७३ वर्षे वैशाख मासे अक्षयतृतीया सोमवारे श्रीखरतरगच्छे श्रीजिनमाणिक्यसूरिपट्टालंकार सवाई युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरीणां पादुके श्रीविक्रमनगर वास्तव्य समस्त श्रीसंघेन (१३०५) बेगडगच्छ- उपाश्रयलेखः (१) ॥ श्रीपार्श्वनाथाय नमः ॥ संवत् १६ चैत्रादि ७३ वर्षे जेठ सुदि (२) १५ सोमवारे मूलनक्षत्रे । श्रीजेसलमेरुनगरे राउल श्रीक (३) ल्याणजी विजयराज्ये । श्रीखरतरवेगड़गच्छे । भ० श्रीजिनेश्वरसूरि (४) विजयराज्ये । छाजहड़गोत्रे । मं० कुलधरान्वये । मंत्री वेगड़ । पुत्र मं० (५) सूरा। तत्पुत्र मं० देवदत्त । पुत्र मंत्री गुणदत्त । तत्पुत्र मं० सुरजन । मं० (६) वकमा । धरमसी । रत्ना । लषमसी। मंत्री सुरजन पुत्र । मं० जीआदे (७) सू। जीया पुत्र मंत्री पंचाइण । पुत्र मं० चांपसी। मं० उदयसिंह मं० (८) बांकुरसी। मं० टोडरमल्ल । चांपसी पुत्र देवकर्ण । उदयसिंह पुत्र (९) महिराज । प्र. ........ राज्ञा मंत्री टोडरमल्लेण पुत्र सोनपाल सहिते(१०) न उपासरा द्वारं सुघटं कारितं ॥ चिरं जयतु ॥ श्रीसंघस्य ॥ (११) ॥ सूत्रधार पांचाकेन कृतं ॥ अंबाणी ॥ ( १३०६ ) सं० १६७३ वर्षे बृहतखरतरगच्छाधीश्वर श्रीजिनचंद्रसूरि (१३०७ ) यु० जिनचन्द्रसूरि - पादुका संवत् १६७४ वर्षे मार्गशीर्ष वदि ५ शुक्रवारे । श्रीजेसलमेरौ । श्रीबृहत्खरतरगच्छाधीश सवाई १३०३. दादाबाड़ी, जैसलमेर : पू० जै० भाग ३, लेखांक २४९६ १३०४. रेलदादाजी, बीकानेर : ना० बी०, लेखांक २०३५ १३०५. बेगडगच्छ उपाश्रय, जैसलमेरः पू० जै०, भाग ३, लेखांक २४४७ १३०६. शांतिनाथ का बड़ा देरासर, कनासा पाडा, पाटणः भो० पा०, लेखांक १३७० १३०७. दादावाडी (देदानसर तालाब), जैसलमेर : ना० बी०, लेखांक २८६७; पू० जै०, भाग ३, लेखांक २५०० (२३० खरतरगच्छ प्रतिष्ठा-लेख संग्रह: Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004075
Book TitleKhartargaccha Pratishtha Lekh Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages604
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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