________________ AGRAILOTA Pीक्षाशता सुनिश्चितं नः परतन्त्रयुक्तिषु, स्फुरन्ति याः काश्चन सूक्तिसंपदः / तवैव ताः पूर्वमहार्णवोत्थिता, जगत्प्रमाणं जिनवाक्यविपुषः // हरिरामचंद्र चंद्र दी शिरताज शिक्षा शताब्दी ग्रंथमाला Jain Education International For personal &Privalsuspopy. www.jainelibrary.org