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क्रम
विषय
नगेमनय के तीन उदाहरण
- नैगमनय के भिन्न-भिन्न प्रकार
नैगमनय को अभिमत चार निक्षेप
-
५४९ (२) संग्रहनय का स्वरुप
• संग्रहनय की मान्यता
- संग्रहनय के प्रकार
५५० (३) व्यवहारनय का स्वरुप - व्यवहारनय की मान्यता
५५१ (४) ऋजुसूत्रनय का स्वरूप ऋजुसूत्रनय की मान्यता
- ऋजुसूत्रनय द्रव्यार्थिक नय है या
-
षड्दर्शन समुच्चय, भाग - २ (२०- ६२० )
श्लोक नं.
पृ. नं. क्रम
विषय
१०७८ ५६१ ज्ञाननय क्रियानय
१०७९
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दोनों
१०८२
नयों की विचारणा
११०९
१०८४
५६२ नयों के न्यूनाधिक विषयों का विचार ११११ १०८५ ५६३ नयवाक्य पर आश्रित सप्तभङ्गी
१११६
१०८५ ५६४ नयाभासों (दुर्नयों) का निरुपण
१०८८
- द्रव्यार्थिक भा
- पर्यायार्थिकाभास
१०८८
१०९१
१०९१
पर्यायार्थिक नय है ? उसकी चर्चा
• द्रव्यार्थिक-पर्यायार्थिक नय की मान्यता
-
• अनुयोगद्वार सूत्र का विरोध और उसका परिहार
५५२ ऋजुसूत्रनय के प्रकार
५५३ (५) शब्दनय का स्वरूप
५५४ शब्द और ऋजुसूत्र नय में मान्यताभेद
५५५ भावनिक्षेप की ही स्वीकृति
५५६ (६) समभिरुढ नय का स्वरुप
शब्द और समभिरू नय
में मान्यताभेद
५५७ (७) एवंभूतनय का स्वरूप
• एवंभूत नय की मान्यता
भावनिक्षेप की ही स्वीकृति एवंभूत एवं समभिरूढ में मान्यताभेद
५५८ अर्थनय शब्दनय के भेद
५५९ अर्पित अनर्पित नय का स्वरुप
५६० व्यवहार निश्चयनय का स्वरुप
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११०८
नैगमाभास
संग्रहाभास
व्यवहाराभास
ऋजुसूत्राभास
- शब्दाभास
समभिरुढाभास
एवंभूताभास
५६५ अर्थादि आभास
परिशिष्ट- ४ सप्तभंगी
५६६ सप्तभंगी
५६७ सात भङग की उत्पत्ति का रहस्य
५६८ प्रथम भंग का स्वरुप
५६९ द्वितीय भंग का स्वरुप
असत्त्व धर्म की तात्त्विकता
श्लोक नं. पृ. नं..
११०९
५७० तृतीय भंग का स्वरुप
५७१ चतुर्थ भंग का स्वरुप
५७२ पंचम, षष्ठ एवं सप्तम
भंग का स्वरूप
५७३ एकांत सप्तभंगी स्याद्वाद की समर्थक नहीं है
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प्रथम भंग के एकान्त का खंडन
द्वितीयभंग के एकान्त का खंडन तृतीय भंग के एकान्त का खंडन
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