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क्रम
विषय
३४० कार्मग्रंथिक साहित्य
३४१ दार्शनिक ग्रंथकलाप
३४२ आकर कोटी के ग्रंथ
३४३ विशेष सुझाव
३४४ परिशिष्ट - ५ साक्षीपाठः
- A - 1 से 90
- B-1 से 100
- C - 1 से 100
-D-1 से 19
३४५ परिशिष्ट- ६
३४६ परिशिष्ट-७
पारिभाषिक शब्दानुक्रमणी (सार्थ)
श्लोक १ से ३
श्लोक ४ से ११ (बौद्धदर्शनम्)
श्लोक ११ से ३२ (नैयायिकदर्शनम्)
श्लोक ३३ से ४४ (सांख्यदर्शनम्)
दार्शनिक-पारिभाषिक शब्द-सूची
३४७ परिशिष्ट-८
षड्दर्शन समुच्चय, भाग-२ (१५- ६१५)
पृ. नं.
क्रम
विषय
श्लोक नं.
५२०
३५६ जैमिनीयों (मीमांसको) का अनीश्वरवाद
५२१
३५७ अनीश्वरवाद का विस्तार से निराकरण,,
५२१ ३५८ दिगंबरो की मान्यता- केवलि को
श्लोक नं.
व्याख्या की शैली का परिचय
३४८ परिशिष्ट - ९ संकेत विवरणम्
३४९ परिशिष्ट- १० उद्धृतवाक्यानुक्रमणिका
३५० परिशिष्ट - ११ मूलश्लोकानुक्रमणिका
भाग-२
जैनदर्शन - अधिकार-४
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५२१
कवलाहार का निषेध
५२२ ३५९ दिगंबर की मान्यता का खंडन तथा
५२२
केवल को कवलाहार ग्रहण की सिद्धि,,
५३६
५४७
५५३
५५६
५५६
५५६
५५८
५६२
५६५
५७३
५८८
५९१
५९६
संक्षिप्त विषयसूची
विस्तृत विषयानुक्रम
३५१ जैनदर्शन के लिंग वेष और आचार (४४)
६२६
३५२ देव का लक्षण (४५-४६) ३५३ भगवान के चार अतिशय का सूचन (४५-४६) ६२८ ३५४ ईश्वर का जगत्कर्तृत्व स्थापन ( ४५-४६) ६३० ३५५ जगत्कर्तृत्व का विस्तार से खंडन ( ४५-४६) ६३६
६०५
६०६
६२५
३६० तत्त्वो के नाम
३६१ नवतत्त्वो का सामान्य स्वरूप
३६२ जीव- अजीव पुण्यतत्त्व का
विस्तार से स्वरुप
३६५ आत्मा प्रत्यक्षगम्य
३६६ आत्मा अनुमानगम्य
३६७ आत्मा की आगम-उपमान
अर्थापत्ति-ग्राह्यता
पृ. नं..
६५५
६५८
(४८-४९) ६८३
३६३ जीव के अभाव में चार्वाक की युक्तियाँ,, ६८५ ३६४चार्वाक की मान्यता का विस्तार से
खंडन - जीव की सिद्धि
(४८-४९)
(४८-४९)
(४८-४९)
का अभाव ३७० जडस्वरूप आत्मा का अभाव ३७१ पृथ्वी में जीव की सिद्धि | ३७२ जल में जीव की सिद्धि ३७३ अग्नि में जीव की सिद्धि
| ३७४ वायु में जीव की सिद्धि ३७५ वनस्पति में जीव की सिद्धि ३७६ दोइन्द्रियादि में जीव की सिद्धि ३७७ अजीव का स्वरूप
३७८ अजीव के पांच भेद
३७९ कारण के तीन प्रकार
६७४
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६७६
(४७) ६८१
(४७) ६८२
(४८-४९) ७१०
३६८ कूटस्थनित्य आत्मा का अभाव (४८-४९) ७११ ३६९ सांख्यअभिमत अकर्तृत्व में आत्मा
(४८-४९)
६९२
६९९
७०१
७११
(४८-४९) ७१२
(४८-४९) ७१४
(४८-४९) ७१५
(४८-४९) ७१८
(४८-४९) ७२०
(४८-४९) ७२१
(४८-४९) ७२५
(४८-४९) ७२८
(४८-४९) ७२८
(४८-४९) ७२९
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