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षड्दर्शन समुच्चय, भाग-२ (१०-६१०)
क्रम विषय श्लोक नं. प्र. नं. | क्रम विषय
श्लोक नं. प्र. नं.. १२७ प्रतिज्ञाहानि निग्रहस्थान (३२) २२५ | १५० सांख्यकारिका के आधार पर बुद्धि १२८ प्रतिज्ञान्तर-प्रतिज्ञाविरोध निग्रहस्थान (३२) २२६ । आदि तथा प्रकृति का विस्तार १२९ प्रतिज्ञासंन्यास निग्रहस्थान (३२) २२७
से स्वरूप
(४१) २४९ १३० हेत्वन्तर-अर्थान्तर निग्रहस्थान (३२) २२८ | १५१ पुरुषतत्त्व का स्वरूप (४१) २५२ १३१ निरर्थक - अविज्ञातार्थ
| १५२ तत्त्वो का उपसंहार (४२) २५५ अपार्थक निग्रहस्थान
(३२) २२९ | १५३ प्रकृति और पुरुष की लंगडे १३२ अप्राप्तकाल - न्यून निग्रहस्थान (३२) २३०
और अंध के समान वृत्ति (४२) २५६ १३३ अधिक - पुनरुक्त
|१५४ प्रमाण का स्वरूप
(४३) २५८ अननुभाषण निग्रहस्थान
१५५ प्रमाण का सामान्यस्वरूप ___ अधिक-अप्रतिभा निग्रहस्थान (३२) २३१
तथा प्रमाण के भेद
(४३) २५८ विक्षेप निग्रहस्थान १३४ मतानुज्ञा-पर्यनुयोज्योपेक्षण
|१५६ मूलग्रंथकारश्री ने नहि कहा हुआ
(३२) निरनुयोज्यानुयोग निग्रहस्थान
विशेषवाच्यार्थ २३३
(४३) २६० १३५ अपसिद्धांत-हेत्वाभास निग्रहस्थान (३२) २३४ |१५७ सांख्यमत का उपसंहार (४४) २६१ १३६ मूलग्रंथकारश्री ने नहीं कही हुई
१५८ सांख्यदर्शन का विशेषार्थ
२६४ कुछ नैयायिकदर्शन की मान्यतायें (३२) २३५ | १५९ पुरुष के दो प्रकार
२६४ १३७ नैयायिकमत का उपसंहार
१६० तत्त्वविचार
२६५ सांख्यमत के प्रारंभ का सूचन (३३) २३६ | १६१ सत्कार्यवाद
२६८ सांख्य दर्शन : अधिकार-3 | १६२ सृष्टि विकास
२७० १३८ सांख्यदर्शन
२३७
| १६३ पुरुष तत्त्व १३९ सांख्यमत के वेष, लिंग और आचार(३३) २३८
१६४ पुरुष-प्रकृति संयोग
२७२ १४० सांख्यमत का प्रारंभ
(३४) २३९ |१६५ प्रकृति
२७३ १४१ दुःख के तीन प्रकार (३४) २४०
|१६६ प्रकृति की अवस्था विशेष
२७४ १४२ सांख्यमत को मान्य २५
२७४ |१६७ विशेष अवस्था तत्त्व का निरुपण (३५) २४१
२७५
१६८ अविशेष-लिंगमात्र अवस्था १४३ सत्त्वादि तीनगुणो का निरूपण ___और उसके कार्य
(३५) २४२ | १६९ अलिंग अवस्था
२७६ १४४ प्रकृति का स्वरूप
(३६) २४३ | १७० प्रकृति के दूसरे नाम १४५ सृष्टिक्रम
(३७) २४४
| १७१ सेश्वरवादी मत से ईश्वर का स्वरूप १४६ बुद्धि-अहंकार का स्वरुप (३७) २४५ /१७२ पांच क्लेश का स्वरूप १४७ षोडशसमुदाय के नाम (३८,३९) २४५ १७३ सांख्यकारिका का विशेषार्थ-कारिका-१ २८१ १४८ पंचभूत की उत्पत्ति । (४०) २४७ १७४ कारिका-२ १४९ पुरुषतत्त्व का निरुपण (४१) २४८ |१७५ कारिका-३ का विशेषार्थ
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