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सूरिपुरंदर पू.आ.भ. श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी विरचित | तार्किकरत्न पू.आ.श्री. गुणरत्नसूरीश्वरजी रचित वृत्ति सहित
षड्दर्शन समुच्चय
भावानुवाद - हिन्दी व्याख्या
भाग-२
-: भावानुवादकार एवं संपादक :पू.मु.श्री संयमकीर्तिविजयजी म.सा.
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