SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ९६ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम प्र. नं.. ३८० ३८१ ३८३ ३८७ ३८७ ३८९ ३५४ ३९० ३९० ३९० ३५७ ३९० ३९० ३६० ३९१ क्रम विषय श्लोक नं. २३३ माया-अविद्या की कुछ विशेषताएँ २३४ अज्ञान के एकत्व या अनेकत्व २३५ अविद्या का आश्रय एवं विषय २३६ सृष्टि प्रक्रिया २३७ ईश्वर की सृष्टि - सूक्ष्म प्रपंच २३८ लिंगशरीर २३९ विज्ञानमय कोश २४० मनोमय कोश २४१ पाँच कर्मेन्द्रियाँ और उसकी उत्पत्ति २४२ प्राणमयकोश-समष्टि लिंगशरीर २४३ व्यष्टि-लिंगशरीर २४४ स्थूल प्रपंच-पंचीकरण और स्थूलभूत २४५ प्रमाण विचार २४६ प्रमाण के प्रकार २४७(१) प्रत्यक्ष प्रमाण २४८ विषय-प्रत्यक्ष का निकष्ट लक्षण २४९ (२) अनुमान प्रमाण - व्याप्ति का स्वरूप - अनुमान में एकविधत्व - अनुमान के दो प्रकार २५० (३) उपमान प्रमाण २५१ (४) आगम प्रमाण - आकांक्षा - योग्यता २५२ आसत्ति-तात्पर्यज्ञान - द्विविध पदार्थ २५३ (५) अर्थापत्ति प्रमाण २५४ (६) अनुपलब्धि प्रमाण २५५ प्रामाण्यवाद २५६ मुक्ति-मोक्ष विचार २५७ - मुक्ति का स्वरुप पृ. नं. | क्रम विषय श्लोक नं. ३५१ /२५८ मुक्ति के प्रकार ३५१ | - जीवन्मुक्त के लक्षण ३५३ /२५९ विदेहमुक्त के लक्षण ३५४ |२६० ब्रह्मसाक्षात्कार के साधन ३५४ | २६१ चार साधन २६२ श्रवण ३५५ |२६३ मनन-निदिध्यासन ३५६ |२६४ समाधि ३५६ २६५ समाधि के दो प्रकार |२६६ सविकल्पक समाधि और उसके दो भेद ३५८ २६७ निर्विकल्पक समाधि |२६८ निर्विकल्प समाधि के अंग ३६१ २६९ ज्ञान की सात भूमिका ३६१ /२७० आत्मा में दृश्य का लय करने की शैली ३६४ /२७१ अद्वैत वेदांत में दृग् - दृश्य विवेक ___- माया में दो शक्ति है ३६७ २७२ अद्वैत वेदांत में भिन्न-भिन्न मान्यतायें २७३ आभासवाद - आभास के भेद ३६९ - आभासवाद की समीक्षा ३६९ - आभासवाद की विशेषतायें - जीव और ईश्वर में भेद ३७० - आभासवाद का प्रयोजन ३७१ |२७४कल्पनावाद और आभासवाद ३७१ २७५ अवच्छेदवाद ३७२ |२७६ प्रतिबिम्बवाद २७७ तीनों वाद की समीक्षा ३७५ /२७८ दृष्टिसृष्टिवाद ३७६ २७९ सत्ताविचार - तीन प्रकार ३७६ । - प्रातिभासिक सत्ता का स्पष्टीकरण ३९३ ३९४ ३९५ ३६६ ३९६ ३९८ ३६८ ३६९ ३९८ ४०१ ३७० ४०३ ४०३ ४०४ ४०४ ४०४ ४०६ ४०७ ४०९ ४११ ४१२ www.jainelibrary.org Jain Education International For Personal & Private Use Only
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy