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________________ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम विस्तृत विषयानुक्रम क्रम _ विषय पृ. नं. क्रम । विषय १ प्रकाशकीय - ग्रंथ और ग्रंथकार २ पूरोवचन-पू.आ.भ.श्री.कीर्तियश सू.म.सा. ९ ।। - प्राचीन न्याय ३ किंचित्-पू.मु.श्री. दिव्यकीर्ति वि.गणी - नव्यन्याय ४ संशोधकप्रतिभावः - श्री मेहुलभाई शास्त्री १४ /१० सांख्यदर्शन ५ सारस्वतवचनम् - र्डा. विष्णुप्रसाद शास्त्री - देवता-ईश्वर विषयक महत्त्व की चर्चा ६ संपादकीय - तत्त्वमीमांसा ७ भूमिका - संपादक - प्रमाणमीमांसा - उपोद्घात - महत्त्व के दार्शनिक सिद्धांत - दर्शन - सत्कार्यवाद - सभी दर्शन को मान्य मोक्ष का स्वरूप - पुरुष बहुत्व - षड्दर्शन - ग्रंथ एवं ग्रंथकार ८ बौद्धदर्शन जैनदर्शन - देवता - देवता - तत्त्वमीमांसा - तत्त्वमीमांसा - महत्त्व के दार्शनिक सिद्धांत - जीव - नैरात्म्यवाद - अजीव -क्षणिकवाद - पुण्य-पाप-आश्रव - संवर-बंध-निर्जरा - प्रतीत्यसमुत्पाद वाद - अनीश्वरवाद - मोक्ष - प्रमाणमीमांसा - चार निकाय - प्रमाण विचार - प्रत्यक्ष प्रमाण - ग्रंथ और ग्रंथकार - परोक्ष प्रमाण - महत्त्व के दार्शनिक सिद्धांत नैयायिकदर्शन - स्याद्वाद - देवता - नयवाद - तत्त्वमीमांसा - सप्तभंगी - प्रमाता-प्रमाण-प्रमेय-प्रमिति - निक्षेप योजन - महत्त्वपूर्ण दार्शनिक सिद्धांत - सत् की व्याख्या - प्रमाण विचार - कर्मवाद - प्रत्यक्ष प्रमाण - शरीर परिमाणवाद - अनुमान प्रमाण - ग्रंथ और ग्रंथकार - उपमान प्रमाण - दार्शनिक ग्रंथ - शब्द प्रमाण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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