________________ कक्षाशवाजी AUTE सुनिश्चितं नः परतन्त्रयुक्तिषु, स्फुरन्ति याः काश्चन सूक्तिसंपदः / तवैव ताः पूर्वमहार्णवोत्थिता, जगत्प्रमाणं जिनवाक्यविपुषः // रामचद्री ताज सूरिन शासन नि ीक्षा शताब्व ग्रथमाला For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org