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________________ ५७२ सर्वदर्शी सर्वसंवर सविकल्पक सविकल्पत्व सविकल्पज्ञान सहभूस्वभाव सहानवस्थान सहावस्थानविरोध सहस्रार सांख्य सांव्यवहारिक सांख्यकारिका सवितृ सशिख सहकारिकारण सहकारिसंपाद्यस्वभाव सायम् सहभावी धर्म सास्ना सांख्यमत सांख्यसप्तति साकार साक्षात्कारित्व साक्षाद्द्रष्टा सागर साङ्गवेद साट साता सातावेदनीय सातोदय सात्यमुग्रि साधनाभास साधन विकल साधर्म्य (समा) साधु साध्य साध्यविकल साध्यसाधनतादात्म्य सापेक्ष सामग्रीविशेषण पक्ष षड्दर्शन समुच्चय भाग-१, परिशिष्ट-७, दार्शनिक - पारिभाषिक शब्द - सूची Jain Education International सामान्य सामान्यच्छल सामान्यरूपहेतु सामान्य लक्षण सामान्यविशेष सामान्यविशेषसमवाय संनिकर्ष सामान्यविशेषसामान्य संप्रदाय सामान्यतदृष्ट सास्रवचित्तसन्तान सिद्ध सिद्धसेन सिद्धसेनदिवाकर सिसृक्षा सिद्ध हैमोणादि दण्डक सिद्धान्त सिद्धान्तसार सुख सुगत सुन्दक सुरभि सुरासुरेन्द्रसंपूज्य सूक्ष्म सूर्य सूत्रकृत् सृष्टि सृष्टिसंहारकर्तेश्वर सृष्ट्यादिकर्ता सोमाग्नि सौगत सौगताभ्युपगत अनेकान्त संख्या संजिहीर्षा संतान सौवर्णघटदृष्टान्त सौत्रान्तिक सौत्रान्तिकमत संकर संतानान्तर संदिग्धासिद्ध संयुक्तसमवाय | संयुक्तसमवेत स्रक् संमति (सन्मतितर्क) स्वः काम संभावना संयम समवाय संयोग संवर संवेदन संसार संसारित्व संसारी संशय संशयसमा संस्कार संहार संज्ञा स्कन्ध स्तम्ब स्तुतिकार समन्तभद्र स्थाणु स्थावर स्थिति स्थितिबन्ध स्थिराशय स्निग्ध स्नेह स्मरण स्मृति स्याद्वाद स्याद्वाददेश स्नेहाभ्यक्तव स्पर्श स्पर्शन स्पृश्य स्याद्वादरत्नाकर स्याद्वादामृतं स्वधर्म स्वपरव्यवसायी स्वपर्याय स्वप्न स्वभाववादी स्वद्रव्यक्षेत्रकालभाव ह्यः हूद स्वभावहेतु स्वभावानुपलब्धि स्वरूपविशेषणपक्ष स्वरूपासिद्ध स्वर्ग स्वर्गकाम स्वसंवेदवेद्यत्व स्वसंवेदन स्वसंवेदनज्ञान क्षमादिगुत्रिय स्वभावविरुद्धोपलब्धि क्षायिकसम्यक्त्व क्षितिजलाद्यष्टमूर्तिता स्वार्थ स्वार्थानुमान स्वैरी स्त्री • [ह] हंस हतमोहमहामल्ल हरिभद्र हरिभद्रसूरि हिंगु हत्पूर हेतु सामान्य बिन्दु हेत्वाभास हिंसाविरति हिमवत् हिरण्यगर्भ हुतभुग् For Personal & Private Use Only हेत्वन्तरम् मसूर हेयोपादेय [&T] क्षणिकता क्षणिकत्व क्षुत् क्षुरगुण्डा क्षेत्र [ त्र ] त्रसरेणु त्रिकालशून्य त्रिदण्ड त्रिदण्डी त्रिभुवन त्रिरूप त्रैलोक्यपूज्य त्रैरूप्य [ ज्ञ ] ज्ञान ज्ञानपारमिता ज्ञानवादी ज्ञानवादी ताथागत ज्ञानवत्त्व ज्ञानावरण ज्ञानाद्वैतवादी ज्ञानावरणीयकर्म ज्ञानच्छाप्रयत्नवत्त्व www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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