________________
षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम
१०७
१२६५
क्रम विषय श्लोक नं. प्र. नं. | क्रम विषय
श्लोक नं. प्र. नं.. ६१२ जाति १२६५ - प्राभाकरमत खंडन
१२७६ (१) बौद्ध मत खंडन
- भावना स्वरुप विचार
१२७९ (२) जाति-जातिमत् का भेदाभेद १२६५ ६१४ (४) कर्म
१२७९ (३) तार्किक मत का खंडन १२६६ |६१५ प्राभाकर मत खंडन
१२७९ ६१३ गुणा
१२६८
(५) अभाव : (१-४) रुप-रस-गंध-स्पर्श
१२६८
प्राभाकर-तार्किक मत की शंका १२८१ (५-७) संख्या-परिणाम-पृथक्त्व
१२६८
- विशेष - समवाय का खंडन १२८२ (८) संयोग
१२७० - भवनाथमत - शून्यमत-विज्ञानवादि - संयोग की द्विविधता १२७० सौत्रान्तिक-वैभाषिक मत खंडन
१२८३ (९-१३) विभाग-परत्व-अपरत्व-गुरुत्व-द्रवत्व१२७०/ - अद्वैतमत खंडन
१२८७ (१४-१५) स्नेह और बुद्ध्यादि षट्क १२७१ |६१६ गुरुसम्मतपदार्थाः
१२८७ (१६-१७) सुख-दु:ख १२७२ ६१७ परिशिष्ट-७ साक्षीपाठः
१२९४ (१८-२१) इच्छा-द्वेष-प्रयत्न-संस्कार १२७३ | ६१८ परिशिष्ट-८ (२२) ध्वनि
१२७३ | पारिभाषिकशब्दानुक्रमणी (सार्थ) १३२८ (२३) प्राकट्यम्
१२७३ ६१९ परिशिष्ट-९ संकेत विवरणम् १३३९ (२४) शक्ति
१२७३ |६२० परिशिष्ट-१० उद्धृतवाक्यानुक्रमणिका १३४२ - तार्किक मत खंडन
१२७४ |६२० परिशिष्ट-११ मूलश्लोकानुक्रम १३४७
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org