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________________ १०६ षड्दर्शन समुच्चय, भाग-१, विस्तृत विषयानुक्रम क्रम विषय श्लोक नं. प्र. नं. | क्रम विषय श्लोक नं. पृ. नं.. - दृष्टान्ताभास - अंधकार (तमः) का स्वरुप १२४३ ५९७शब्द १२२१ (१) नैयायिक और गुरुमत का खंडन १२४३ - व्युत्पत्ति प्रकार १२२१ (२) परमाणु का स्वरूप और नैयायिक मत - अन्विताभिधान का खंडन १२२२ का खंडन १२४४ - आकांक्षा - योग्यता-सन्निधि का निरुपण १२२३ (३) ईश्वरकर्तृत्व खंडन १२४५ - शाब्दं द्विविधं और गुरमत निरास १२२४ (४) वेदपौरुषेयत्व खंडन १२४७ ५९८ उपमान का (५) स्वत: प्रामाण्य का स्थापन १२५० स्वरूप और नैयायिक मत का खंडन १२२६ (६) प्रामाण्याप्रामाण्य विचार १२५१ ५९९ अर्थापति १२२९/६०६ आकाश १२५२ - अर्थापति का स्वरुप और नैयायिक ६०७ काल १२५२ मत का खंडन १२२९ ६०८ दिक् १२५३ - प्राभाकरमत का खंडन १२३२ -दिशा-काल-आकाश का प्रत्यक्ष १२५३ - दो प्रकार १२३३ |६०९ आत्मा १२५४ - गुरुमत का निरास १२३३ (१) आत्मा का लक्षण १२५४ ६०० अनुपलब्धि १२३४ (२) शांकरमत का खंडन १२५४ - अनुपलम्भ सत्तामात्र से बोधक १२३४ (३) चार्वाकमत का खंडन १२५५ - अनुपलम्भ का द्वैविध्य १२३५ (४) अखंडार्थत्व खंडन १२५६ - तार्किक मत निरास १२३६ (५) आत्मा विभु है १२५७ - प्राभाकरमत निरास १२३६ (६) स्वर्ग-अपवर्ग १२५८ - अन्य प्रमाण का अन्तर्भाव १२३७ (७) सौगतमत खंडन १२५८ ६०१ प्रमेयानि १२३९ (८) प्रभाकर मोक्ष खंडन १२५८ - द्रव्य का लक्षण (९) सांख्य मत खंडन १२५९ - नैयायिक मत का खंडन १२३९ (१०) शांकरमत खंडन १२५९ - द्रव्य के प्रभेद का निरुपण १२४०/६१० मन १२६० ६०२ पृथ्वी का लक्षण और मन का विभुत्वसाधनम् १२६० प्राभाकर मत का खंडन १२४० ६११ शब्दः १२६२ ६०३ जल का लक्षण १२४१ (१) शब्द आकाश का गुण नहीं है १२६२ ६०४ तेज का स्वरुप १२४१ (२) शब्द विभु एवं नित्य है १२६२ ६०५ - वायु का लक्षण और वैशेषिक मत (३) अनित्यत्व का खंडन १२६३ का खंडन (४) शब्द की द्विविधता १२६४ १२३९ १२४२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004073
Book TitleShaddarshan Samucchaya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamkirtivijay
PublisherSanmarg Prakashak
Publication Year2012
Total Pages712
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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