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नित्यानित्यत्ववाद का समर्थन
है कि अपने इन दो गुणों के कारण ही एक आत्मा के लिए विविध प्रकार के शुभ-अशुभ जन्म ग्रहण करना संभव हो पाता है ।
विचार्यमेतत् सद्बुद्ध्या मध्यस्थेनान्तरात्मना । प्रतिपत्तव्यमेवेति न खल्वन्यः सतां नयः ॥८॥
इन सब बातों पर सद्बुद्धि एवं तटस्थ अन्तरात्मा के साथ विचार किया जाना चाहिए तथा उन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए । सत्पुरुषों की क्रिया प्रणाली दूसरी नहीं (अपितु यही है ।)
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