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तीर्थंकर का दान सचमुच महान् है
धर्मोद्यताश्च तद्योगात् ते तदा तत्त्वदर्शिनः ।
महन्महत्त्वमस्यैवमयमेव जगद्गुरुः ॥८॥ फिर इन जगद्गुरु के संबंध से ये प्राणी उस समय धर्माचरणशील तथा तत्त्वदर्शी हुआ करते हैं यह इन जगद्गुरु का महान् बड़प्पन हुआ (अथवा यह इन जगद्गुरु का बड़ों से भी बड़ा होना हुआ). और इसका अर्थ यह हुआ कि ये जगद्गुरु ही सच्चे जगद्गुरु हैं ।
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