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________________ ५३ समुद्री व्यापार करते थे। ६. कांची-नारी-सौंदर्य का वर्णन करते हुए दमयन्तीचम्पूकार ने 'कांची प्रदेश' का वर्णन किया है। (प्रथम उच्छ्वास) । इस शब्द का अर्थ श्लेष से कांचीपुरं भारत की सात प्रसिद्ध नदियों में से एक है और दक्षिण भारत में स्थित है। ७. कामरूप- नारी-सौंदर्य के प्रसंग में ही उसे 'कामरूपधारिणी' कह कर कवि ने 'कामरूप' की ओर संकेत किया है। यह आसाम प्रदेश का प्राचीन नाम है। वर्तमान काल में कामरूप आसाम का एक जिला है। गोहाटी कामरूप का बड़ा नगर है। कदाचित् इस प्रदेश में मुखौटे पहन कर रूप बदलने की प्रथा थी। इसी कारण इसका नाम कामरूप हो गया। ८. कुण्डिननगर–विदर्भ की राजधानी कुण्डिननगर का वर्णन दमयन्तीचम्पू में आलंकारिक शैली में हुआ है। (द्वितीय उच्छ्वास)। सुरवती जिले के कौण्डिन्यपुर को कुण्डिननगर माना जाता है। कुछ लोग लोणार को भी कुण्डिननगर मानते हैं ।१७७ डौसन ने कुण्डिननगर को अमरावती (बरार) से ४० मील पूर्व में माना है।१७८ त्रिविक्रम ने कुण्डिननगर को वरदा नदी के तीर पर स्थित बताया है देशानां दक्षिणं देशस्तत्र वैदर्भमण्डलम्। तथापि वरदातीरमण्डलं कुण्डिनं पुरम्॥१७९ वरदा तीर पर कौण्डिन्यपुर ही बसा हुआ है। लोणार एक छोटी नदी वरदा (वर्तमान गंगा भोगवती) के तट पर है। यहाँ एक प्राचीन कुण्ड है जिससे कुण्डिनपुर का नाम पड़ा बताया जाता है। विदर्भा नदी खड्कपूर्णा नदी मानी जाती है जो पार्थपुर (पाथरी) में गोदावरी से मिलती है। लोणार यहाँ से ६ मील दूर है। लोणार के पश्चिम में भार्गव आश्रम के भग्नावशेष भी हैं जिसका उल्लेख दमयन्तीचम्पू में है। इसकी छत में रुक्मिणी-हरण से सम्बद्ध दृश्य भी उत्कीर्ण हैं। इन सब बातों के आधार पर प्रो. कैलाशपति त्रिपाठी ने ठीक ही कहा है कि कौण्डिन्यपुर या वर्धा वाली बात बहुप्रचलित, बहुसम्मत और उच्चारण साम्य आदि आधारों पर प्रमाणित है। लोणार वाला पक्ष भी युक्तियुक्त है और इस पक्ष में अन्तरंग और बहिरंग प्रमाणों की भी प्रचुरता है।१८० कुण्डिननगर इन्द्रपुरी से स्पर्धा करने वाला कहा गया है। वहाँ कर्मठ ब्राह्मण, सन्मार्गगामी गृहस्थ, वस्तुओं के गुणों के विशेषज्ञ वणिक्, ऊँची-ऊँची पताकाओं वाले भवन, भव्य मंदिर और विविध शिल्पियों से युक्त हैं। पयोष्णी नदी उसी के पास बहती हुई बतलाई गई है। भार्गव आश्रम उससे पश्चिम में था। वहाँ किसी को विपत्ति नहीं व्यापती थी। सर्वत्र सरोवर कमलों से भरे हुए थे। सारे स्त्री-पुरुष निर्मल चित्त वाले थे। ९. कुन्तल-कुन्तल का नाम भी नारी-सौंदर्य के प्रसंग में बालों के लिए और श्लेष से प्रदेश विशेष के लिए आया है। दक्षिण महाराष्ट्र में कृष्णा नदी के दक्षिण में कुन्तल रोड नामक रेलवे स्टेशन है। संभवत: महाभारत में दक्षिण कुन्तल की राजधानी यह कुन्तल नगरी ही थी।१८१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004071
Book TitleDamyanti Katha Champu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages776
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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