SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्वस्ति श्रीशके ११२८ प्रभवसम्वत्सरे श्रीश्रावणे मासे पौर्णमास्यां चन्द्रग्रहणसमये श्रीसोइदेवेन सर्वजनसन्निधौ हस्तोदकपूर्वं निजगुरुरचित- महायाग्रस्थानं दत्तम्। वासनावार्त्तिककार नृसिंह के गणिताध्याय के प्रथम श्लोक की व्याख्या के अनुसार भास्कराचार्य १११४ ई० में उत्पन्न हुए। इनका गोत्र शाण्डिल्य था। और सप्ताद्रि के निकट कर्णाट प्रान्त के बाजीपुर में रहते थे। त्रिविक्रम के वंशज अनन्तदेव यादववंशीय सिंहणराज के गुरु थे। इनका लिखा हुआ शिलालेख खानदेश के बहाला नामक गाँव में मिला है। इन प्रमाणों के आधार पर त्रिविक्रम भट्ट की वंश-परम्परा इस प्रकार सङ्कलित की गई है श्रीधर (शाण्डिल्यगोत्री) नेमादित्य (या देवादित्य) त्रिविक्रम भास्कर भट्ट गोविन्द प्रभाकर मनोरथ महेश्वर भास्कराचार्य श्रीपति लक्ष्मीधर गणपति चङ्गदेव अनन्तदेव महेश्वर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004071
Book TitleDamyanti Katha Champu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages776
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy