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________________ १०९ वार० २९. जेसलमेर - पार्श्वनाथ गीत जेसलगिरि रलीयामणउ० २४ १६५७, वाचक ३०. जेसलमेर - पार्श्वनाथ स्तवन जिनजी हो गढ जेसलगिरि० पाठक ३१. नींबाज - पार्श्वनाथ स्तवन श्री नींबाजि जुहारिवा० उवज्झाय, १६७६ ३२. नाकोड़ा - पार्श्वनाथ स्तवन जिन नमुं महिमा गुणगणि वाचनाचार्य ३३. पाली - पार्श्वनाथ स्तवन पालीपुर प्रभु पासजी० वाचक ३४. फलवर्द्धि - पार्श्वनाथ छन्द सासनसुरी तणी परभावइ० पाठक ३५. फलवर्द्धि -- पार्श्वनाथ गीत सामि कर नामि नवे निधि पाई० मुनि ३६. फलवर्द्धि - पार्श्वनाथ स्तवन पास जिणेसर सेवीयइ० मुनि भडकुलि - पार्श्वनाथ गीत श्रीभडकलि प्रभु पासु ए० पाठक ३८. लौद्रवा-सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्त० प्रभु पास सहसफण प्रगट० ३९. लौद्रवा-सहस्रफणा पार्श्वनाथ स्त० । जिणि दिन नयणि निहालुं० ४०. स्तम्भन-पार्श्वनाथ गीत थंभन पास प्रगट परमेसर० ४१. स्तम्भन-पार्श्वनाथ गीत अति अनूप भुवन भूप० ४२. स्तम्भन-पार्श्वनाथ गीत श्रीथंभन पासजी पूजीयइ जु० ४३. स्तम्भन-पार्श्वनाथ गीत छेक जनावन भव भरथन धन० ४४. महावीर गीतम् प्रहसमि समरउ श्री महावीर० ४५. जैसलमेर-महावीर स्तवन सासन नायक सेवीयइ० ११ वाचक ४६. राडद्रहपुर-महावीर स्तवन वीर जिणिंद जुहारीयइए० ४७. वीरजिन मूर्त्तिगीतम् मूर्ति श्रीजिनवीर की रे लाल० ४८. सीमन्धर स्वामी गीतम् जे मई पाप किए परमादइ० ४९. अष्टप्रकारी पूजा गीतानि करीजइ न्हवण जिनेश्वर० उवज्झाय, ५०. अष्टप्रकारी पूजा गीत करि धोती धूनी धुरइ ए. ५१. गुरुपरम्परा-गुर्वावली गीतम् प्रणमुं पहिली श्री वर्द्धमान० ३१ गणि ५२. गौतमस्वामी गीतम् श्री गौतम प्रहसमि ध्यावउ० ५३. राजनगर-दादा गुरुद्वयगीतम् राजनगरि गुरुचरण भेटिवा० ५४. राजनगर-दादा गुरुद्वयगीतम् सुगुरु कउ दरसण दिन प्रति कीजई० ३ ५५. सूरत - दादा गुरुद्वयगीतम् सदगुरु भेटणि आवहु माइ० ५६. अमरसर-जिनकुशलसूरि गीतम् दादा पूरि हो मन वांछित मोरा० ५७. अमरसर-जिनकुशलसूरि गीतम् सिरि अमरसरि गुरुराज सोहइ० ४ ५८. राडद्रहपुर-जिनकुशलसूरि गीतम् श्रीराडिद्रहपुरवरइए० ५९. सांगानेर-जिनकुशलसूरि गीतम् परभातइ ऊठी करी रे० ६०. जिनकुशलसूरि अष्टक जिनकुशलसूरीसर सेवइ० ६१. जिनकुशलसूरि गीतम् मुकट उपम धरि आन जान० ६२. जिनकुशलसूरि गीतम् पूनमि पूनमि गुरुजीनी पूजा० ६३. जिनकुशलसूरि गीतम् उदय करउ दादा उदय करउ० ६४. जिनकुशलसूरि गीतम् उनइ मेघ घटाकरी ७ पाठक unm GK पाठक गणि G Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004071
Book TitleDamyanti Katha Champu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages776
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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