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________________ Jain Education Intemational 18 १. भगवान श्री महावीरका बेनमून चित्र २. अष्टमहाप्रातिहार्ययुक्त तीर्थंकरका चित्र ३. भगवानके २५ पूर्वभवों का दिग्दर्शन ४. बीशस्थानकके बीश पदों का चित्र ५. देवलोकमें से च्यवन (अवतरण) ६. पतिके समक्ष १४ स्वप्नोंका कथन ७. परस्पर गर्भापहरण ८. त्रिशला माता के द्वारा देखे गये १४ स्वप्न ९. बडी आकृतियोंमें १४ स्वप्नों का आकर्षक दर्शन १०. ५६ दिक्कुमारिकाओंका उत्सव ११. इन्द्रका मेरुपर्वत प्रति गमन १२. मेरुपर्वत पर देवोंका अभिषेक १३. बाल भगवान और मातापिता १४. निर्भयताकी देवपरीक्षा भगवान श्री महावीरका कौनसा चित्र किस पन्ने पर है उसकी और अन्य विभागोंकी अनुक्रमणिका २५. साधना और सिद्धिके लिए विहार और उपसर्ग २६. विहार, प्रथम पारणा इत्यादि २७. दरिद्र ब्राह्मणको वस्त्र का दान २८. ग्वालेका प्रतिकूल उपसर्ग २९. शूलपाणि यक्षका उपसर्ग ३०. दृष्टिविष चण्डकौशिक सर्पको प्रतिबोध ३१. वैरी देवका नौका द्वारा जलोपसर्ग ३२. संगमदेव द्वारा किये हुए भयंकर २० उपसर्ग ३३. चंदनबाला द्वारा उडदकी भिक्षा ३४. काष्ठशूल (कील) द्वारा किया गया कर्णोपसर्ग ३५. ध्यानकी सर्वोच्चकक्षा पर वर्तित भगवान महावीर ३६. भगवान को केवलज्ञान- त्रिकालज्ञान की प्राप्ति ३७. देवनिर्मित समवसरण (प्रवचन सभा) ३८. अष्टप्रातिहार्य सह सुवर्णकमल पर विहार ३९. शास्त्रार्थके लिये आये हुए ११ विद्वान ब्राह्मण ४०. ११ विद्वान ब्राह्मणों की दीक्षा और गणधर पदकी स्थापना ४१. चैत्य-ज्ञान वृक्षकी प्रदक्षिणा ४२. समवसरण का अति भव्य द्वार ४३. तीर्थकर के समक्ष बलिविधान ४४. तेजोलेश्या द्वारा भगवान को भस्म करनेका प्रयोग ४५. काशी कौशलके १८ राजाओंके उपदेश ४६. भगवानकी ४८ घण्टोंकी (सुदीर्घ) अंतिमदेशना ४७. भगवान के पवित्र देहका अंतिम संस्कार ४८. केवलज्ञान प्राप्त भगवान के शिष्य श्री गौतम स्वामीजी १५. दैत्यदमन और नामकरण १६. ज्ञानशालामें ज्ञानज्योतिभगवान ल १७. वर्धमानकुमारके लग्न आदि प्रसंग १८. मातापितादि परिवार सह भगवान १९. दीक्षा के लिये अनुमति माँगते हुए भगवान २०. भगवान महावीरके विविध जीवन प्रसंग २१. धर्मतीर्थ प्रवर्तन के लिये देवोंकी विनती २२. करोडों (मुद्राओं) रुपयोंका वार्षिक दान (वरसी दान) २३. दीक्षाका भव्य वरघोडा (जुलूस) २४. केशलुंचन और दीक्षा-संयम स्वीकार क्षीरसमुद्र विमान For Personal & Private Use Only अवशिष्ट विभागोंकी अनुक्रमणिका भगवान श्री महावीर के २६ पूर्वभवोंका तथा ४८ चित्रोंका परिचय पृष्ठ नं. ६९ से ७६ • परिशिष्ट विभाग नं. १ से १२ पृष्ठ नं. ७६ से ८८ • ८० चित्रपट्टियोंका परिचय पृष्ठ नं. १४९ से १६८ १४४ प्रतीकोंका परिचय पृष्ठ नं. १६९ से १८१ । यह चित्रसंपुटमें कितनेक चित्रों को पृष्ठ नंबर दिया नहीं हैं। वो चित्र कैसे हैं ? तो कल्पसूत्रके रंगीन चित्र, पेपर कटींगमें शक्रस्तव, नवकारमंत्र तथा सिद्धचक्र, रंगीन सिद्धचक तथा ऋषिमंडलका यंत्र और शालवृक्ष, अशोक वृक्ष आदि चित्र हैं । 10 www.jainelibrary.org
SR No.004065
Book TitleTirthankar Bhagawan Mahavir 48 Chitro ka Samput
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashodevsuri
PublisherJain Sanskruti Kalakendra
Publication Year2007
Total Pages301
LanguageHindi, Gujarati, English
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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