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है।
स्थिति दो प्रकार की है - 1. भव स्थिति और 2. कायस्थिति।
भवस्थिति: यानि जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त एक ही शरीर में रहने की काल सीमा ।
कायस्थिति : यानि एक ही गति में निरन्तर बार-बार जन्म ग्रहण करते है।
मनुष्य गति में कोई भी जीव लगातार अधिक से अधिक सात-आठ बार ही जन्म ले सकता
भवस्थिति - जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट - 3 पल्योपम
कायस्थिति - जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट - 7-8 भव
किन्तु तिर्यंचों की कायस्थिति और भव स्थिति में अन्तर है। अतः इन दोनों स्थितियों का ज्ञान करने के लिए विशेष वर्णन है।
जीव
1. पृथ्वीका
2. अप्काय
3. ते काय
4. वायुकाय
5. वनस्पतिकाय
6. बेइन्द्रिय
7. तेइन्द्रिय
8. चउरिन्द्रिय
भव स्थिति
(उत्कृष्ट)
22000 वर्ष
7000 वर्ष
3 दिन (अहोरात्र)
3000 वर्ष
10000 वर्ष
12 वर्ष
49 दिन
6 मास
78
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काय स्थिति
असंख्यात
अवसर्पिणी
उत्सर्पिणी प्रमाण
अनंत उत्सर्पिणी अवसर्पिणी
संख्यात हजार वर्ष