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________________ परमाधामी देवकृत वेदना : भवनपति देवों की दूसरी जाति है - परमाधामी देव । ये बड़े क्रूर, कठोर तथा निर्दयी स्वभाव के होते हैं। दूसरों को सताने में पीड़ा पहुँचाने में इन्हें बड़ा मजा आता है। ये देव तीसरी नरक तक रहे नारकी जीवों को तरह तरह की यातनाएँ देते रहते हैं। यद्यपि ये परमाधामी असुर एक प्रकार के देव है, इन्हें और भी अन्य प्रकार के सुख साधन प्राप्त है फिर भी उनके माया, मिथ्या, निदान, शल्य, तीव्र कषाय आदि से ऐसा अकुशलानुबंधी पुण्य बंधा है जिससे उन्हें दूसरों को सताने में ही अधिक प्रसन्नता होती है। ये देव 15 प्रकार के हैं तथा मिथ्यादृष्टि जीव होते है। अपना आयुष्ण पूर्ण करके सामान्य तौर पर अंडगोलिक नामक क्रूर मनुष्य बनते हैं एवं वहाँ से आयुष्य पूर्ण कर पुनः ये स्वयं नरक में नारकी जीवों के रूप में पैदा होकर भारी दुःखों को भोगते हैं। 15 प्रकार के परमाधामी देवों के नाम और काम अंब 500 योजन तक उछालना। 040 12. परमाथामी देवकृत ब्रदवा 2005 Svein Bouration Internal 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. अंबरीष श्याम शबल रूद्र महारौद्र काल महाकाल असिपत्र छुरे से टुकड़े करना । से प्रहार करना। आंते-हृदय को फाड़ना । भाला - बरछी से बींधना । अंगोपांग छेदन करना । उबलते तेल में डालना । माँस के टुकड़े खिलाना। तलवार से टुकड़े करना । 67&
SR No.004061
Book TitleTattvartha Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2013
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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