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________________ रत्न प्रभा भूमि काले वर्णवाले भयंकर रत्नों से व्याप्त है। शर्करा प्रभा भूमि भाले और बरछी से भी अधिक तीक्ष्ण शूल जैसे कंकरों से भरी है। बालुका प्रभा पृथ्वी में भाड़ की तपती हुई बालू से भी अधिक उष्ण रेत है। पंकप्रभा में रक्त, मांस आदि दुर्गन्धित पदार्थो का कीचड़ भरा है। धूमप्रभा में मिर्च आदि के धूएँ से भी अधिक तेज (तीक्ष्ण) दुर्गन्धवात धुआं व्याप्त रहता है। तम:प्रभा में सतत घोर अंधकार छाया रहता है। महातम:प्रभा में घोरातिघोर अंधकार व्याप्त है। सात नरक मूल नाम गौत्रिय नाम - धम्मा वंसा सीला पर्यावरण काले वर्ण वाले रत्न भाले और बरछी की तरह कंकर उष्ण रेत दुर्गन्धित पदार्थों का कीचड धुआँ अंधकार घोर अंधकार रत्न प्रभा शर्करा प्रभा बालुका प्रभा पंक प्रभा धूम प्रभा तम:प्रभा महातमः प्रभा । अंजना रिट्टा मघा माघवती रत्न प्रभा में 13 पाथडे यानि पृथ्वीपिंड है और 12 आंतरे यानी रिक्त स्थान हैं। इस प्रकार यह 13 मंजिल जैसा भवन है। नारकों का निवास अधोलोक में है। नारकों के निवास को नरक भूमि कहते हैं। ऐसी सात नरक भूमियाँ हैं। ये भूमियाँ समश्रेणी में न होकर एक-दूसरे के नीचे है। इनका आयाम (लम्बाई) और विषकम्म (चौडाई) समान नहीं है। नीचे-नीचे की भूमि लम्बाई-चौडाई में अधिक अधिक है। ये सातों नरक भूमियाँ एक दुसरे के नीचे है, परन्तु बिल्कुल सटी हुई नहीं है। इनके बीच में बहुत अन्तर है। इस अन्तर में घनोदधि (जमा हुआ पानी) घनवात (जमी हुई हवा) तनुवात (पतली हवा) और आकाश क्रमश: नीचे नीचे है। प्रथम नरक भूमि के नीचे घनोदधि है, इसके नीचे धनवात है, घनवात के नीचे तनुवात है और तनुवात के नीचे आकाश है। आकाश के बाद दूसरी नरक है। इस तरह सातवीं भूमि तक सब भूमियों के नीचे उसी क्रम से घनादधि आदि है। यद्यपि नीचे-नीचे की भूमियों का लम्बाई-चौडाई उल्लेख अधिक है किन्तु उनकी मोटाई
SR No.004061
Book TitleTattvartha Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2013
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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