SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एक अग्नि कण द्वारा एक-एक तिनके को जलाया जाना सामान्य रूप से आयु पूरी हो रही है अर्थात् अनपवर्तनीय आयुष्य है। लपट द्वारा तिनको के ढेर का भस्म हो जाना आयु का शीघ्र ही क्षीण हो जाना समाप्त हो जाना अर्थात् अपवर्तनीय आयुष्य है। आयु चाहे अपवर्तनीय या अनपवर्तनीय ही क्यों न हो दोनों हीं पूरी होती है अन्तर केवल जल्दी और देर का है। नोट : मनुष्य और तिर्यंच को दोनों प्रकार की आयु हो सकती है। अपवर्तनीय ( नियत समय से पहले भोगी जा सके) I मनुष्य और तिर्यंच good interna आयुष्य || द्वितीय अध्याय समाप्त || 57& अपवर्तनीय (बन्धकालिन स्थिति के पूर्ण होने से पहले न भोगी जा सके) T देव और नारक चरम शरीर, उत्तम पुरूष, असंख्यात वर्ष की आयुवाले
SR No.004061
Book TitleTattvartha Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2013
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy