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________________ प्रस्तुत कृति को तैयार करने के लिए जिन ग्रन्थों का आधार लिया है उनमें विभिन्न विद्वान मनीषियों की तत्त्वार्थ सूत्र की हिन्दी टिकाएँ, सवार्थसिद्धि, राजवार्तिक, नवतत्त्व, लघु संग्रहणी आदि प्रमुख ग्रंथ है। उन सब को मैं हृदय से आभार प्रकट करती हूँ । इस पुस्तक के वर्णित विषयों की शास्त्रानुसारिता को प्रामाणिक करने के लिए प.पू. आचार्य प्रवर श्री अजितशेखर सूरीश्वरजी म. सा. प. पू. पंन्यास प्रवर श्री अजयसागरजी म.सा., प.पूज्या साध्वीवर्या हेमप्रज्ञाश्रीजी म.सा. ने निरक्षण किया है। सभी ने समय की अल्पता और अत्यंत व्यस्तता में भी मेरे निवेदन को सहर्ष स्वीकार कर इस कृति को अपने कुशल संपादन से सवारा है। उन सबके प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करती हूँ। डॉ. सागरमलजी जैन एवं प्राणी मित्र श्री कुमारपाल भाई वी. शाह ने पथ-पथ पर इस कार्य को अभिवृद्ध करने के लिए नानाविध सुझाव प्रदान किये, अतएव मैं आपश्री का अन्तःमन से आभार प्रकट करती हूँ । आत्मीय बहन डॉ. मीना साकरिया एवं मोहन जैन का पुस्तक की प्रुफरिडिंग के कार्य में सुन्दर, सुरूचिपूर्ण योगदान रहा है । आशा है आप हमारे इस प्रयास को आंतरिक उल्लास, ऊर्जा एवं उमंग से बधाएँगे और प्रेम, प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से अपने भीतर के आत्म विश्वास को बढायेंगे। अंत में इस नम्र प्रयास के दौरान कोई भी जिनांज्ञा विरूद्ध कथन हुआ हो तो मिच्छामि दुक्कडं । Exvii डॉ. निर्मला जैन चेन्नई
SR No.004061
Book TitleTattvartha Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2013
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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