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नाम
धर्म
अधर्म
आकाश
पुद्गल
काल
रूपी या अमूर्त (वर्णादि सहित)
निष्क्रिय (क्रिया रहित) प्रदेश (जितने क्षेत्र में एक परमाणु रहता है)
संख्यात प्रदेश
लोकाकाश
असंख्यात प्रदेश
अनंत जीव
अनंत प्रदेश
अलोकाकाश
द्रव्य की संख्या
एक
____ अनंत
अनंत
असंख्यात
द्रव्यों का लोक में अवगाह लोका-ssकाशे-ऽवगाहः ।।12।।
सूत्रार्थ : सभी द्रव्य लोकाकाश में रहते हैं। धर्मऽधर्मयो:कृत्स्ने ||13||
सूत्रार्थ : धर्म और अधर्म द्रव्य सम्पूर्ण लोकाकाश में व्याप्त हैं। एक प्रदेशाऽऽदिषु भाज्य: पुद्गलानाम् ।।14।।
सूत्रार्थ : पुद्गल द्रव्य एक प्रदेश से लेकर सम्पूर्ण लोकाकाश परिमाण होने योग्य है। असंख्येय-भागाऽऽदिषु जीवानाम् ||15।।
सूत्रार्थ : जीवद्रव्य का अवगाह लोकाकाश के असंख्यात भाग से लेकर समस्त लोकाकाश में है। प्रदेशसंहार-विसर्गाभ्यां प्रदीपवत् ||16||
सूत्रार्थ : क्योंकि दीपक की तरह उनके प्रदेशों का संकोच और विस्तार होता है।
विवेचन : सूत्र 12 से 16 तक द्रव्यों की स्थिति, क्षेत्र का वर्णन किया गया है। अवगाह शब्द का अर्थ है - स्थान ग्रहण करना या स्थान प्रदान करना। धर्मादि सभी द्रव्यों को स्थान प्रदान करना लोकाकाश का कार्य है। लोकाकाश के आधार पर धर्मादि द्रव्य अवस्थित है। यह कथन व्यवहारिक