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लोकाग्र भाग
सिद्धक्षेत्र (अनंत सिद्ध) -
-सिद्धशिला
5 अनुत्तर विमान (1 प्रतर)
14
9 ग्रैवेयक के 9प्रतर
आकाश
देवलोक
14 प्रतर
10 देवलोक
धनादधि
114 प्रता
514 प्रतर
BE/4 प्रतर
15 प्रनर 16 प्रतर
धनवात
देवलोक
-9 लोकांतिक 112 प्रतर
किल्विषी 3
/
2 देवलोक 1
किल्विषी
प्रतर
किल्विषी 1
धनोदधि
मध्यलोक (तिर्थालोक) (1800 योजन ऊंचा)
मेरु पर्वत -चर-अचर ज्योतिष चक्र
असंख्य द्वीप-समुद्र
10 जंभृक
-14AGall
YLOALA
AMARG
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७
JaiheAVANSWE.
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