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________________ दस भवनपति के नाम उनके इन्द्र 1. असुर कुमार चमर और बलि। | 2. नागकुमार धरण और भूतानन्द। | 3. सुवर्णकुमार वेणुदेव और वेणुदाली। | 4. विद्युतकुमार हरि और हरिसह। 5. अग्निकुमार अग्निशिख और अग्निमानव। 6. द्वीपकुमार पूर्ण और वशिष्ट। | 7. उदधिकुमार जलकान्त और जलप्रभ। 8. दिक्कुमार अमितगति और अमित वाहन। 9. वायुकुमार वेलम्बन और प्रभंजन। | 10. स्तनितकुमार घोष और महाघोष। इसी प्रकार व्यन्तर निकाय को भी दो-दो इन्द्र होते हैं, जिनके नाम इस प्रकार हैं। आठ व्यंतर के नाम उनके इन्द्र 1. किन्नर किन्नर और किंपुरूष 2. किंपुरूष सत्पुरूष और महापुरूष 3. महोरग अतिकाय और महाकाय 4. गन्धर्व गीतरति और गीतयश 5. यक्ष पूर्णभद्र और मणिभद्र 6. राक्षस भीम और महाभीम 7. भूत सुरूप और प्रतिरूप 8. पिशाच काल और महाकाल इनके अतिरिक्त ज्योतिष्क और वैमानिक के इन्द्र के बारे में यहाँ नहीं बताया किन्तु अन्य ग्रंथों के आधार पर उनका विवरण इस प्रकार है - ज्योतिष्क देवों के इन्द्र सूर्य और चन्द्र है। सूर्य और चन्द्र असंख्यात है क्योंकि ढाई द्वीप में द्वीप-समुद्र भी असंख्यात ही है। इसलिए ज्योतिष्क देवों के इन्द्र भी असंख्यात ही है। कल्पोपन्न वैमानिक देवों के 10 इन्द्र होते हैं। आठ देवलोक के उनके नामवाले आठ इन्द्र | प्रत्येक के एक-एक इन्द्र। आनत और प्राणत इन दो देवलोक के प्राणत नामक एक ही इन्द्र तथा आरण और अच्युत इन दो देवलोक का भी अच्युत नामक एक ही इन्द्र है। 46Y 30? gained contesaator so TGADANGANAGAR TETo8s084Hiroe-BANAETC Tiparon
SR No.004061
Book TitleTattvartha Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2013
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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