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समय देशना - हिन्दी
२३८-अ हैं, जो सप्तम आदि गुणस्थान में चल रहे है, वे ध्यान रूप से तो असत्यात्मक कहे है। उनमें सत्ता का अभाव नहीं है। आपको अपने विवेक से लगा लेना चाहिए। ध्यान का विषय अलग है, होने का विषय अलग है। आज अभी अरहंत नहीं हैं, तब भी अरहंत का ध्यान किया जा सकता है। मात्र कारण में कार्य का उपचार, इसलिए निश्चय कहा। विकल्पात्मक व्यवहार और निर्विकल्प तत्त्व-निश्चय । नौ पदार्थों में भूतार्थ तो जीव है, शेष अभूतार्थ हैं, ऐसा जानना चाहिए।
। भगवान् महावीर स्वामी की जय ।।
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