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सूपविहि
[ग, चने की दाल आदि। विगयविहि
दूध, दही, मट्ठा आदि। सागविहि
शाक, सब्जी आदि। महुरविहि
मधुर फल आदि। जीमणविहि
रोटी, पुड़ी, रायता, बड़ा, पकोड़ी आदि।
जीमने के द्रव्यों के प्रकार का प्रमाण। पाणियविहि
पीने योग्य पानी। मुखवासविहि
लौंग, सुपारी आदि। वाहणविहि
वाहन (घोड़ा, मोटर आदि)। उवाणहविहि
जूते, मोजे आदि। सयणविहि
सोने-बैठने योग्य पलंग, कुर्सी आदि। सचित्तविहि
जीव सहित वस्तु जैसे नमक आदि। दव्वविहि
द्रव्य की विधि (मर्यादा)। दुविहे
दो प्रकार। पण्णत्ते
कहा गया है। तं जहा
वह इस प्रकार है। भोयणाओ
भोजन की अपेक्षा से।
और कम्मओ य
कर्म की अपेक्षा से। भोयणाओ
भोजन संबंधी नियम के। समणोवासएणं
श्रमणोपासक (श्रावक) के। पंच-अइयारा
पाँच अतिचार। सचित्ताहारे
सचित्त वस्तु का भोजन करना। सचित्त-पडिबद्धाहारे सचित्त (वृक्षादि से) सम्बन्धित
(लगे हुए गोंद, पके हुए फल आदि खाना) वस्तु भोगना। अप्पउली-ओसहि-भक्खणया अचित्त नहीं बनी हुई वस्तु का आहार करना या जिसमें जीव के प्रदेशों का
सम्बन्ध हो ऐसी तत्काल पीसी हुई या मर्दन की हुई वस्तु का
भोजन करना। दुप्पउली-ओसहि-भक्खणया दुष्पक्व वस्तु का भोजन करना।
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