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________________ बंधे वहे गाढे बन्धन से बाँधा हो। वध (मारा या गाढा घाव घाला हो)। छविच्छेए अंगोपांग को छेदा हो। अइभारे अधिक भार भरा हो। भत्तपाण-विच्छेए भोजन पानी में बाधा की हो। 2. दूजा अणुव्रत - थूलाओ मुसावायाओ वेरमणं, कन्नालीए, गोवालीए, भोमालीए, णासावहारो, कूडसक्खिज्जे इत्यादि मोटा झूठ बोलने का पच्चक्खाण, जावज्जीवाए, दुविहं, तिविहेणं न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा एवं दूजा स्थूल मृषावाद विरमण व्रत के पंच अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं जहा ते आलोउं-सहस्सबभक्खाणे, रहस्स ब्भक्खाणे, सदार मंत भेए, मोसोवएसे, कूडलेहकरणे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।। कन्नालीए कन्या या वर संबंधी। गोवालीए गाय आदि पशु संबंधी। भोमालीए भूमि भवन आदि। णासावहारो धरोहर दबाने के लिए झूठ बोलना। कूडसक्खिज्जे झूठी साक्षी देना। सहस्सब्भक्खाणे बिना विचारे यकायक किसी पर झूठा आल (दोष) देना। रहस्सब्भक्खाणे गुप्त बातचीत करते हुए पर झूठा आल (दोष) देना। सदारमंत-भेए अपनी स्त्री का मर्म प्रकाशित किया हो। मोसोवएसे झूठा उपदेश दिया हो। कूडलेहकरणे झूठा लेख लिखा हो। 3. तीजा अणुव्रत - थूलाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं खात खन कर, गाँठ खोलकर, ताले पर कूँची लगाकर, मार्ग में चलते हुए को लूटकर, पड़ी हुई धणियाती मोटी वस्तु जानकर लेना इत्यादि मोटा अदत्तादान का पच्चक्खाण, सगे संबंधी, व्यापार संबंधी तथा पड़ी निर्धमी वस्तु के उपरान्त अदत्तादान का पच्चक्खाण जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं, न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा एवं तीजा स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत के पंच अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं जहा ते आलोउं-तेनाहडे, तक्करप्पओगे, विरुद्ध रज्जाइक्कमे, कूडतुल्ल कूडमाणे, तप्पडिरूवगववहारे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।। थूलाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं स्थूल बिना दी वस्तु लेने रूप बड़ी। चोरी से निवृत्त। 666 RRORAKASHTRormation
SR No.004054
Book TitleJain Dharm Darshan Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages134
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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