________________
12 (बारह) व्रत अतिचार सहित
1. पहला अणुव्रत - थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, त्रसजीव, बेइन्द्रिय, तेइन्द्रिय, चउरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, जान के पहिचान के संकल्प करके उसमें सगे संबंधी व स्व शरीर के भीतर में पीड़ाकारी, सापराधी को छोड़कर निरपराधी को आकुट्टी की बुद्धि से हनने का पच्चक्खाण, जावज्जीवाए दुविहं, तिविहेणं, न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा ऐसे पहले स्थूल प्राणातिपात विरमण व्रत के पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा, न समायरियव्वा तं जहा ते आलोउं बंधे, वहे, छविच्छेए, अइभारे, भत्तपाण विच्छेए, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं । ।
पहला अणुव्रत थूलाओ
पाणाइवायाओ
वेरमणं
सजीव
बेइन्द्रिय
तेइन्द्रिय
चरिन्द्रिय
पंचेन्द्रिय
संकल्प
सगे संबंधी
स्वशरीर
सापराधी
निरपराधी
आकुट्टी
हनने
पच्चक्खाण
जावज्जीव
दुविहं तिविहेणं
न करेमि
न कारवेम
मणसा वयसा कायसा
पहला अणुव्रत (अणु यानी महाव्रत की अपेक्षा छोटा व्रत ) । स्थूल (बड़ी)
प्राणातिपात (जीव हिंसा) से ।
विरक्त (निवृत्त) होता हूँ। (जैसे वे)
चलते फिरते प्राणी हैं। (चाहे वे )
दो इन्द्रिय वाले ।
तीन इन्द्रिय वाले।
चार इन्द्रिय वाले।
पाँच इन्द्रिय वाले।
मन में निश्चय करके ।
संबंधी जनों का।
अपने शरीर के उपराचार्थ ।
अपराध सहित स प्राणी हिंसा को छोड़ शेष ।
अपराध रहित प्राणी की हिंसा का ।
मारने की भावना से ।
मारने का
त्याग करता हूँ।
जीवन पर्यन्त ।
दो करण, तीन योग से अर्थात्
स्वयं नहीं करूँगा।
दूसरों से नहीं कराऊँगा ।
मन, वचन, काया से ।
96