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________________ की तरफ मोड़ गमन करवाने वाले कर्म को देवानुपूर्वी नाम कर्म कहते हैं। 14. विहायोगति नाम कर्म जीव की चाल को विहायोगति कहते हैं । उसे प्रदान करने वाले कर्म को विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। उसके दो भेद हैं । } श्रेष्ठ पशु हाथी Validatha 1. शुभ विहायोगति नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव को हंस, हाथी आदि जैसी सुन्दर, प्रशंसनीय चाल, गति अथवा गमन क्रिया की प्राप्ति होती है, उसे शुभ विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। होती है, उसे अशुभ विहायोगति नाम कर्म कहते हैं। आतप 2. अशुभ विहायोगति नाम कर्म : जिस कर्म के उदय से जीव को ऊँट, * प्रत्येक प्रकृति :- जिस प्रकृति के भेद-उपभेद नहीं होते है उसे प्रत्येक प्रकृति कहते हैं। यह आठ प्रकार की है। गधा आदि जैसी अशुभ चाल प्राप्त Jain Education International 1. परघात नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से व्यक्ति इतना तेजस्वी बनता है कि बलवान व्यक्ति भी उसके सामने हार जाते है विरोध नहीं कर पाते हैं उसे पराघात नाम कर्म कहते हैं। उसके चेहरे पर तेज और वाणी में ऐसा ओज होता है कि लोग उसे देखकर क्षुब्ध हो जाते हैं। 2. उच्छवास नाम कर्म जिस कर्म के उदय से जीव निर्बाध श्वास ले सकता है और छोड़ सकता है, उसे उच्छवास नाम कर्म कहते हैं। 4. उद्योग नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव का शीत शरीर होने पर शीत प्रकाश प्रदान करता है, उसे उद्योत नाम कर्म कहते है। ऐसा शरीर जुगनु, चन्द्रादि ज्योतिषी विमानों के जीवों को तथा देवता के उत्तर वैक्रिय शरीर के समय 3. आतप नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव का स्वयं का शरीर अनुष्ण (शीतल) होने पर भी उष्ण प्रकाश प्रदान करता है उसे आतप नाम कर्म कहते हैं। इस प्रकार का शरीर सूर्य विमान में रहे हुए पृथ्वीकाय के जीवों को होता हैं। तथा लब्धि धारी मुनि जब वैक्रिय शरीर धारण करते हैं तब होता है। गधा 5. अगुरुलघु नाम कर्म :- जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर न अति भारी और न अति हल्का होता है, शरीर प्रमाण युक्त वजनवाला होता है, वह अगुरुलघु नाम कर्म हैं। 85 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.004053
Book TitleJain Dharm Darshan Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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