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के आकार की है। इसका परिक्षेत्र (Diametre) 1,42,30,249 योजन का है। इस पृथ्वी के एक योजन ऊपर लोक का अंत होता है।
भव के चरम (अंतिम) समय में शरीर का त्याग करके मुक्त जीव एक समय में ही सीधा मोक्ष में चले जाते है। अंतिम अवस्था में जिस आकार से मुक्ति प्राप्त की है, उसी आकार में आत्मप्रदेश स्थित होते हैं। अंतिम भव
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जो शरीर की अवगाहना (लंबाई) होती है, उससे 2 / 3वाँ भाग (त्रिभाग हीन) मुक्त जीव की अवगाहना समझनी चाहिए। जैसे 500 धनुष अवगाहना की कायावाले की 333धनुष और 32 अंगुल परिमाण, वहाँ अवगाहना होती है। * मोक्ष का सुख • मोक्ष के सुख का वर्णन करते हुए आचार्य उमास्वामि ने लिखा है - मुक्तात्माओं के सुख विषयों से अतीत और अव्याबाध है। संसार के सुख विषयों की पूर्ति, वेदना के अभाव, पुण्य कर्मों के इष्ट फल रुप है, जबकि मोक्ष के सुख कर्म के क्षय से उत्पन्न परमसुख रुप है । सारे लोक में ऐसा कोई पदार्थ नहीं जिसकी उपमा सिद्धों के सुख के साथ दी जा सके।
औपपतिक सूत्र में वर्णन है सिद्ध शरीर रहित होते हैं। वे चैतन्यधन और केवलज्ञान, केवलदर्शन से संयुक्त होते है। साकार और अनाकार उपयोग उनके लक्षण है। सिद्ध केवलज्ञान से युक्त होने पर सर्वद्रव्य गुण पर्याय को जानते है न मनुष्य को ऐसा सुख होता है न सब देवों को, जैसा कि अव्याबाध सुख सिद्धों को प्राप्त होता है।
यदि तीनों कालों से गुणित देव सुख को अनंत बार वर्ग वर्गित (वर्ग को वर्ग से गुणित) किया जाए तो भी वह सिद्ध के एक आत्मप्रदेश के सुख के समान नहीं हो सकता।
संपूर्ण कार्य सिद्ध करने के कारण वे सिद्ध हैं। सर्वतत्व के पारगामी होने से बुद्ध है। संसार समुद्र को पार करने के कारण पारगंत है। हमेशा सिद्ध रहेंगे अतः परम्परागत है। जन्म- जरा मरण के बंधन से * सिद्ध के पंद्रह भेद :
मुक्त है।
मोक्ष आत्म - विकास की चरम एवं पूर्ण अवस्था है। पूर्णता में किसी भी प्रकार का भेद नहीं होता । अतः मुक्तात्माओं में भी कोई भेद नहीं है। प्रत्येक आत्मा अनंत ज्ञान, दर्शन एवं अनंतगुणों से परिपूर्ण है। सिद्धों में पंद्रह भेदों की कल्पना की गई है, वह केवल लोक व्यवहार की दृष्टि से है।
* 15 प्रकार के सिद्ध :
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1. जिन सिद्ध :- तीर्थंकर पद प्राप्त करने के पश्चात् जो सिद्ध हो, जैसे अरिहंत
परमात्मा ।
2. अजिन सिद्ध :- तीर्थंकर पद प्राप्त किये बिना सामान्य केवली बनकर मोक्ष जाना, जैसे पुंडरिक स्वामी आदि।
3. तीर्थ सिद्ध :- तीर्थ यानी साधु- • साध्वी,
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