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________________ पुरिसुत्तमाणं मरिससीहाण सबद्धाण सयं-संबडाण: पुरिसत्तमाः पुरिस सीहाणं :पुरुषों में सिंह समान निर्भयों को। पुरुषों में जानादि गुणों से उसामों को। पुरिस प्रहरीआण पुरिसन्तरस्याघहत्यीणा अभय - दयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरण - दयाणं बोहि - दयाणं ।।5।। धम्म - दयाणं, धम्म - देसयाणं, धम्म - नायगाणं, स्वयं बोध प्राप्त किये हुओं को। धम्म - सारहीणं, धम्म - वरचाउरंत चक्कवट्टीणं ।।6।। अप्पडिहय वर नाण - दंसण - धराणं, विअट्ट - छउमाणं ।।7|| जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं ।।8।। सव्वन्नृणं, सव्वदरिसीणं, लोगुत्तमाणं सिव - मयल - मरुअ - मणंत मक्खय मव्वावाह मपुणरावित्ति सिद्धिगइ नामधेयं लोगहियाण ठाणं संपत्ताणं णमो जिणाणं जिअ भयाणं ।।9।। जे अ अईआ सिद्धा, लोग हिआणं :- लोक का हित करनेवालों को। जे अ भविस्संति णागए काले। संपइ अ वट्टमाणा, सव्वे तिविहेण वंदामि ।।10।। पुरिस वर पुंडरीयाणं :पुरुषों में उत्तम शेतकमल के समान को। पुरिस वरगंधहत्थीणं :पुरुषों में सात प्रकार की ईतियाँ दूर करने सर्वश्रेष्ठ गंधहस्ति सदृशों को। लोगुत्तमाणं :- लोक में उत्तमों को। लोगनाहाणा कपाय Sh मोक्षमार्ग के प्रापक. संरक्षक-योग-क्षेमकर्ता बोधी बीज जिसे प्राप्त नहीं है उसे प्राप्त करना - योग जिन्हें प्राप्त है उसका रक्षण करना - क्षेम लोग-पज्जोगराण लोग - पज्जोअगराणं :लोक में अतिशय प्रकाश करनेवालों को लोगपड़वाणं लोग पईवाणं :- लोक में दीपकों को। tipatieindialy.dige 92
SR No.004052
Book TitleJain Dharm Darshan Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirmala Jain
PublisherAdinath Jain Trust
Publication Year2011
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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