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मक्खन
विकारी
दृष्टि
TEPLICE
मक्खन कामोत्तेजक द्रव्य
होगा? अर्थात् मधु हिंसक और तुच्छ पदार्थ होने से निसंदेह त्याज्य है। * अन्य शास्त्रों में भी कहा है कि “सात ग्रामों को अग्नि से जलाने जितना पाप शहद की एक बूंद के भक्षण से होता है" * शहद के क्षणिक मिठास के लोभ में पडकर उससे जनित विकार पूर्ण भयंकर अशुभ परिणामों के कारण चिरकाल तक नरक की वेदना का फल भोगना पडता है। VIII. मक्खन त्याग :- मक्खन को छाछ से बाहर निकालते ही अनेक सूक्ष्म व उसी वर्ण के त्रस जीव पैदा हो जाते हैं। उनकी हिंसा का कारण तथा अप्रितिकारी होने से मक्खन अभक्ष्य माना गया है। मक्खन तीन प्रकार का होता है:1. गाय, भैंस के दध का मक्ख न 2. भेड, बकरी के दूध का मक्खन 3. डेरी का मिक्स मक्खन
मक्खन को खाते और गरम करते समय जीवों की हिंसा होती है। ऐसी हिंसा से बचने के लिए छास में से मक्खन को अलग करते वक्त साथ में थोड़ी छास भी उठा लेनी चाहिए। छास के साथ रखे हुए मक्खन में छास की खटाई के कारण जीवों की उत्पत्ति की संभावना नहीं रहती। दो दिन के दही को निलोने - मथने से वह चलित रस हो जाता है। अतः अनेक त्रस जीवों का नाश होता है। * मक्खन भक्षण से होनी वाली हानियां :* मक्खन कामवासना विकार को उत्तेजित करनेवाला होता है। मन में कुविचार उत्पन्न करता है और चारित्र के लिए हानिकारक है। * मक्खन थोडे समय में विकृत हो जाता है और वमन, बवासीर, कोढ तथा मेद उत्पन्न करता है। * सूक्ष्म, त्रस जीवों की हिंसा के कारण मक्खन का सेवन दुर्गति में ले जानेवाला बनता है। IX. 32 अनंतकाय * वनस्पति के दो प्रकार है :
1. प्रत्येक वनस्पतिकाय :- जिसके एक शरीर में एक जीव होते हैं। फल, फूल, छाल, काष्ठ, मूल, पत्ता, बीज में अलग अलग जीव होता है। 2. साधारण वनस्पतिकाय :- जिसके एक शरीर में अनंत जीव होते हैं।
गाजर
अदरक
अनतकाय
आल
लहसन
अनंतकाय जीव के लक्षण :- “गुढ सिर सन्धि पव्वं समभगमहीरुगं च धिन्नरुहं साहारणं शरीरम्" * संधिया दिखती नहीं * नसे दिखती नहीं * गांठ गुप्त हो । * जिसे पूरा तोडने पर ठीक तरह टूट जाए और पीटने पर बराबर चूरा हो जाए। * जिसमें रेशे न हो
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