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श्रीश्रीवल्लभीय-लघुकृति-समुच्चयः प्रस्तुत पुस्तकना संपादक महो. विनयसागरजी तथा डो. नारायण शास्त्रीनी श्रुतभक्ति खरेखर प्रशंसनीय छे के जेमना प्रयत्नथी ज आजे आ प्रकाशन संपूर्णताने पाम्युं.
आर्थिक सहयोग द्वारा श्रुतभक्ति करनार श्री रांदेर रोड जैन संघनी खूब खूब अनुमोदना.
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