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इसमें हमारा कोई अनुमोदन नहीं है । इसका उत्तरदायित्व उसके शिर पे रहेगा ।
प्रस्तुत ग्रंथ के माध्यम से सत्य पथ की गवेषणा करके सही मार्ग के उपर चलकर सभी जीव मुक्तिसुख का सहभागी बने, ऐसी ही एक शुभकामना ।
कार्तिक वद-द्वि. ३,
वि.सं. २०६८ ता. १४-११-११
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