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________________ ४४२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ अ०१७ / प्र०१ आचार्यपरम्परा दिगम्बरमतानुसार .. तिलोयपण्णत्ती में भगवान् महावीर के बाद की जो आचार्यपरम्परा दी गई है, वह दिगम्बरमत के अनुसार है। देखिए केवली - गौतम, लोहार्य (सुधर्म) और जम्बू। (४/१४८८-८९)। श्रुतकेवली - नन्दी (विष्णु), नन्दिमित्र, अपराजित, गोवर्धन और भद्रबाहु। (४/१४९४-९५)। दशपूर्वी - विशाखाचार्य, प्रोष्ठिल, क्षत्रिय, जय, नाग, सिद्धार्थ, धृतिषेण, विजय, बुद्धिल, गङ्गदेव और सुधर्म। (४/१४९७-९८)। एकादशांगधारी- नक्षत्र, जयपाल, पाण्डु, ध्रुवसेन और कंस। (४/१५००)। आचारांगधारी - सुभद्र, यशोभद्र, यशोबाहु और लोहार्य। (४/१५०२)। यही आचार्यपरम्परा वीरसेन स्वामी ने धवला में भी बतलायी है। (ष.खं./पु.१/ १,१,१/पृ.६६-६७) जिनसेनकृत हरिवंशपुराण में भी इसी का उल्लेख है। (१/६०६५)। यापनीयों की किसी स्वतंत्र आचार्यपरम्परा का पता नहीं चलता। वे श्वेताम्बरआगमों को ही मानते थे। इसलिए श्वेताम्बर-आचार्यपरम्परा को ही यापनीयों की आचार्यपरम्परा मानना होगा। नन्दीसूत्र (गा.२५-५०) में तीर्थंकर महावीर के पश्चात् हुए आचार्यों का क्रम इस प्रकार बतलाया गया है-सुधर्मा, जम्बू, प्रभव, शय्यंभव, यशोभद्र, सम्भूतिविजय, भद्रबाहु (ये अन्तिम चौदहपूर्वधर थे), स्थूलभद्र, महागिरि, सुहस्ति, बहुल, बलिस्सह, स्वाति, श्याम, शाण्डिल्य, समुद्र, मंगु, धर्म, भद्रगुप्त, आर्यरक्षित, नन्दिल, नागहस्ती, रेवतिनक्षत्र, सिंह, स्कन्दिल आदि। यतिवृषभ ने तिलोयपण्णत्ती में नन्दीसूत्र की इस आचार्यपरम्परा को स्थान नहीं दिया है, जिसका अर्थ स्पष्ट है कि वे इस परम्परा से सम्बद्ध नहीं हैं। अब विचारणीय है कि जिस ग्रन्थ में यापनीयों की आचार्यपरम्परा को मान्यता न दी गयी हो, उसे अमान्य किया गया हो, क्या वह यापनीय-परम्परा का ग्रन्थ हो सकता है? दिगम्बरआचार्यपरम्परा को मान्य किये जाने से सिद्ध है कि यह दिगम्बरपरम्परा का ग्रन्थ है। आश्चर्य तो यह है कि माननीय डॉक्टर सागरमल जी की दृष्टि से इतना बड़ा तथ्य ओझल कैसे हो गया? Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004044
Book TitleJain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Jain
PublisherSarvoday Jain Vidyapith Agra
Publication Year2009
Total Pages906
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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