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अ०१६ / प्र०१
तत्त्वार्थसूत्र / ३३३ उत्तमपुरुष की क्रिया का प्रयोग कर तत्त्वार्थ के सूत्रों की व्याख्या की है। यतः उत्तमपुरुष की क्रिया का अपने साथ प्रयोग केवल भाष्यकार ने ही नहीं किया है, अपितु उपर्युक्त टीकाकारों ने भी किया है, अतः वह साधारणानैकान्तिक हेत्वाभास है, किसी भी टीकाकार के सूत्रकार से अभिन्न होने का हेतु नहीं है।
__ मूलग्रन्थकार के साथ अन्यपुरुष की क्रिया का प्रयोग कर उसके वचनों की व्याख्या करना भी व्याख्या की शैली है। इसके उदाहरण भी अनेक टीकाओं में मिलते हैं। जैसे
१. "तत्त्वार्थश्रद्धानं सम्यग्दर्शनमित्युक्तम्। अथ किं तत्त्वमित्यत इदमाह-।" (सर्वार्थसिद्धि १/४/ उत्थानिका/पृ. १०)= तत्त्वार्थश्रद्धान सम्यग्दर्शन कहलाता है, यह कहा जा चुका है। अब तत्त्व कौन-कौन हैं? इस जिज्ञासा का समाधान करने के लिए सूत्रकार अगला सूत्र कहते हैं।
२."वैविध्यविजृम्भितमोक्षकारणप्रदर्शनार्थमाह।" (तत्त्वार्थराजवार्तिक १/१/ उत्थानिका/ पृ. ३) = त्रैविध्ययुक्त मोक्षहेतु बतलाने के लिए ग्रन्थकार उत्तर सूत्र का कथन करते
इन उदाहरणों में टीकाकार ने मूलग्रन्थकार के साथ आह क्रिया का प्रयोग किया है, जो बू धातु से निष्पन्न अन्यपुरुष-एकवचन का वर्तमानकालीन रूप है। तत्त्वार्थाधिगमभाष्य में भी इसके उदाहरण उपलब्ध होते हैं। यथा
१. "श्रुतं मतिपूर्वं द्वयनेकद्वादशभेदम्" (१/२०) इस सूत्र के भाष्य में भाष्यकार कहते हैं-"अत्राह-मतिश्रुतयोस्तुल्यविषयत्वं वक्ष्यति 'द्रव्येष्वसर्वपर्यायेषु' इति---।"= यहाँ शंकाकार कहता है कि सूत्रकार "मतिश्रुतयोर्निबन्धः सर्वद्रव्येष्वसर्व-पर्यायेषु" (१/२७) इस सूत्र में बतलायेंगे कि मतिज्ञान और श्रुतज्ञान के विषय समान हैं--- |
यहाँ भाष्य में सूत्रकार (मूलग्रन्थकर्ता) के साथ अन्यपुरुष की क्रिया वक्ष्यति का प्रयोग किया गया है।
२. "आद्ये परोक्षम्" (१/११) इस सूत्र के भाष्य में कहा गया है-"आद्ये सूत्रक्रमप्रामाण्यात् प्रथमद्वितीये शास्ति।"= आये इस द्विवचनात्मकरूप के प्रयोग से ज्ञात होता है कि आचार्य (सूत्रकार) "मतिश्रुतावधिमनःपर्ययकेवलानि ज्ञानम्" (१/९) इस सूत्र में प्रदर्शित क्रम के अनुसार यहाँ प्रथम और द्वितीय ज्ञान का निर्देश करते हैं (शास्ति)। यहाँ शास्ति 'शास्' धातु से निष्पन्न अन्यपुरुष-एकवचन की क्रिया है, जो सूत्रकार के साथ प्रयुक्त हुई है। सिद्धसेनगणी सूत्रकार और भाष्यकार को अभिन्न मानते हैं। अतः उन्हें लगा कि सूत्रकार के साथ अन्यपुरुष की क्रिया का प्रयोग होने
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