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अ०१०/प्र०३
आचार्य कुन्दकुन्द का समय / ३११ तौर पर एक-एक आचार्य का काल २० वर्ष के लगभग आँका जा सकता है।" (जै.ध.मौ.इ. / भा.२ / पृ.७४१-७४२)।
"हरिवंशपुराण और श्रुतावतार के उल्लेखों के आधार पर यह पहले सिद्ध किया जा चुका है कि वीर नि० सं० ६८३ में स्वर्गस्थ हुए अन्तिम आचारांगधर लोहार्य के पश्चात् और लगभग वीर नि० सं० ७६३ से ७८३ तक आचार्य पद पर रहे आचार्य अर्हद्वलि से पूर्व क्रमशः विनयंधर आदि चार आचार्य हुए। इन्द्रनन्दीकृत श्रुतावतार तथा अज्ञातकर्तृक नन्दीसंघ की प्राकृत पट्टावली में अर्हदलि के पश्चात् क्रमशः माघनन्दी, धरसेन, पुष्पदन्त और भूतबलि इन चार आचार्यों के होने का उल्लेख है।
"नन्दीसंघ की पट्टावली में भी कुन्दकुन्दाचार्य की गुरुपरम्परा निम्न रूप में उल्लिखित है- भद्रबाहु > गुप्तिगुप्त , माघनन्दी > जिनचन्द्र कुन्दकुन्द।
"इन्द्रनन्दी ने श्रुतावतार में सुस्पष्ट रूप से लिखा है कि षट्खण्डागम और कषायप्राभृत का ज्ञान गुरुपरिपाटी से पद्मनन्दी मुनि को कुण्डकुन्दपुर में प्राप्त हुआ और उन्होंने षट्खण्डागम के आद्य तीन खण्डों पर १२,००० श्लोक-परिमाण की परिकर्म नामक टीका की रचना की।
"इस प्रकार हरिवंशपुराण, इन्द्रनन्दिकृत श्रुतावतार, नन्दीसंघ की प्राकृत पट्टावली, इन तीनों ग्रन्थों के उल्लेखों से अर्हद्वलि निश्चितरूपेण कुन्दकुन्दाचार्य के प्रगुरु (दादागुरु) माघनन्दी से पूर्ववर्ती आचार्य सिद्ध होते हैं।
__ "नन्दीसंघ की पट्टावली में सर्वप्रथम भद्रबाहु (द्वितीय) और उनके पश्चात् गुप्तिगुप्त का नाम दिया है, पर इस पट्टावली से विद्वान् यही निष्कर्ष निकालते हैं कि माघनन्दी ही वस्तुतः नन्दीसंघ के प्रथम आचार्य, उनके शिष्य जिनचन्द्र और जिनचन्द्र के शिष्य कुन्दकुन्दाचार्य हुए।" (जै.ध. मौ. इ. / भा.२ / पृ. ७५४)।
"आज से ११९० वर्ष पूर्व के हरिवंश के उल्लेख और उपरिवर्णित तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में विचार करने पर आचार्य अर्हदलि का अन्तिम समय वीर नि० सं० ७८३ के आस-पास का सुनिश्चित किया जा सकता है। इस प्रकार अर्हदलि का समय वीर नि० सं० ७८३ सिद्ध हो जाने पर उनके पश्चात् हुए माघनन्दी का आचार्यकाल २० वर्ष, माघनन्दी और धरसेन के बीच हुए आचार्यों के नाम और संख्या-विषयक उल्लेख के अभाव में उनके काल की गणना न कर के धरसेन का काल २० वर्ष, (वी० नि० सं० ८२३), पुष्पदन्त का ३० वर्ष, जिनपालित का समय ३० वर्ष अनुमानित किया जाय तो जिनपालित का अन्तिम समय वीर नि० सं० ८८३ के आस-पास का अनुमानित किया जा सकता है।
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