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दशम अध्याय आचार्य कुन्दकुन्द का समय
'प्रथम प्रकरण ईसापूर्वोत्तर प्रथम शताब्दी में होने के प्रमाण
इण्डि. ऐण्टि. पट्टावली के अनुसार ईसापूर्वोत्तर प्रथम शती
अष्टम अध्याय में हम देख चुके हैं कि प्रो० हार्नले द्वारा दि इण्डियन एण्टिक्वेरी में प्रकाशित नन्दिसंघीय पट्टावली के अनुसार आचार्य कुन्दकुन्द ईसापूर्वोत्तर प्रथम शताब्दी में अर्थात् ईसापूर्व प्रथम शताब्दी के उत्तरार्ध और ईसोत्तर प्रथम शताब्दी के पूर्वार्ध में हुए थे। उनका जन्म ईसा से ५२ वर्ष पूर्व हुआ था, ११ वर्ष की आयु में मुनिदीक्षा ग्रहण की और ईसा से ८ वर्ष पहले ४४ वर्ष की अवस्था में आचार्यपद पर प्रतिष्ठित हुए। ५१ वर्ष, १० मास और १० दिन तक आचार्य पद पर आसीन रहे। उसके ५ दिन बाद स्वर्ग सिधार गये। इस प्रकार उक्त पट्टावली में उनका जीवनकाल ९५ वर्ष, १० मास और १५ दिन दर्शाया गया है। प्रो० हानले ने इसी समय को प्रामाणिक माना है। प्रो० ए० चक्रवर्ती नयनार ने भी इस समय को ही मान्यता दी है।
किन्तु पं० जुगलकिशोर जी मुख्तार ने उक्त पट्टावली में अनेक दोष बतलाये हैं। वे लिखते हैं-"इसमें प्राचीन आचार्यों का समय और क्रम बहुत कुछ गड़बड़ में पाया जाता है। उदाहरण के लिये पूज्यपाद (देवनन्दी) के समय को ही लीजिये, पट्टावली में वह वि० सं० २५८ से ३०८ तक दिया है। दूसरे शब्दों में यों कहना चाहिये कि पट्टावली में आचार्य पूज्यपाद के आचार्यपद पर प्रतिष्ठित होने का समय ई० सन् २०० के करीब बतलाया है, परन्तु इतिहास में जैसा कि ऊपर जाहिर किया गया है, वह ४५० के करीब पाया जाता है, और इसलिये दोनों में करीब अढ़ाई
१. " If we take this date8 B.C.as the reliable date of his accession to the pontificial
chair then the date of his birth would be about 52 B.C. For, only in his forty - fourth year he became pontiff or an Ācārya." Pañcāstikāyasāra, The historical Introduction, p.V, by Prof. A. Chakravarti Nayanar.
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