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४८२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १
अ० ६ / प्र० ३
उसकी उत्पत्ति श्वेताम्बरसंघ से ही हुई थी, क्योंकि उन्होंने स्थूलभद्रनीत सचेलसंघ को ही उत्तरभारत का निर्ग्रन्थसंघ कहा है। अतः उनकी 'जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय' ग्रन्थ में प्रतिपादित यह पूर्व मान्यता अप्रामाणिक है कि भगवान् महावीर का अनुयायी मूल निर्ग्रन्थसंघ सचेलाचेलमार्गी था और उसके भेद से श्वेताम्बर और यापनीय संघों का उद्भव हुआ था ।
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