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श्री संवेगरंगशाला
परिकर्म द्वार-मृत्यु काल जानने के ग्यारह उपाय के समग्र अंग तेल, बत्ती आदि श्रेष्ठ हो और बार-बार दीपक को प्रकट करने पर भी यदि सहसा बुझ जाए तथा जिस बीमार के घर में निमित्त बिना ही बरतन अति प्रमाण में बार-बार नीचे गिरे और टूट-फूट जाये तो वह भी शीघ्र मर जाता है। जिसको अपने कान आदि पाँच इन्द्रियों द्वारा भी शब्द, रस, रूप, गंध और स्पर्श का ज्ञान न हो अथवा विपरीत ज्ञान हो तथा वह बीमार आए हुए श्रेष्ठ वैद्य का और उसके दिये हुए औषध का अभिनंदन नहीं करें तो वह भी निश्चय अन्य शरीर में जाने में तत्पर बना है ऐसा जानना। जो चन्द्र और सूर्य के बिम्ब को काजल के समूह रूप काला श्याम देखे तो बारह दिन में यम के मुख में जाता है। आहार पानी परिमित मात्रा में लेने पर भी जिसको अति अधिक मल-मूत्र हो अथवा इससे विपरीत-अधिक आहार पानी लेने पर भी मलमूत्र अल्प हो तो उसकी मृत्यु नजदीक में जानना। जो पुरुष सद्गुणी भी परिजन, स्वजनादि परिवार में पूर्व में अच्छा विनीत था फिर भी सहसा विपरीत वर्तन करे, उसे भी अल्प आयु वाला जानना। और जिस दिन आकाश तल को नहीं देखे, परंतु दिन में तारें देखे, देवताओं के विमान देखें, उसे भी यम का घर नजदीक जानना। जो सूर्य चंद्र के बिम्ब में अथवा ताराओं में एक-दो या अनेक छिद्र देखे उसका आयुष्य एक वर्ष जानना। दोनों हाथ के अंगूठे से कान के छिद्रों को ढकने के बाद भी यदि अपने कान के अंदर में आवाज को नहीं सुने तो वह सात दिन में मरता है। दाहिने हाथ से मजबूत दबाकर दबाकर बायें हाथ की उंगलियों के पर्व जिसे लाल नहीं दिखे उसकी भी मृत्यु शीघ्र जानना। मुख, शरीर या चोट स्थान आदि में जिसको बिना कारण अति इष्ट या अति अनिष्ट गंध उत्पन्न हो तो वह भी शीघ्र मरता है। जिसका गरमी वाला शरीर भी अचानक कमल के फूल समान शीतल हो, उसे भी यमराज की राजधानी के मार्ग का मुसाफिर जानना।
जहाँ पसीना आता हो ऐसे ताप वाले घर में रहकर हमेशा अपने ललाट को देखे, उसमें यदि पसीना नहीं आता तो जानना कि मृत्यु नजदीक आ गयी है। जिसकी सूखी विष्टा तथा थूक शीघ्र पानी में डूब जाये तो वह पुरुष एक महीने में यम के पास पहुँच जाता है। हे कुशल! निरंतर जिसके शरीर में जूं दिखे या उत्पन्न हो अथवा मक्खी शरीर पर बैठे या पीछे घूमे उसे शीघ्रमेव काल भक्षण करने वाला है। जो मनुष्य सर्वथा बादल बिना भी आकाश में बिजली अथवा इन्द्र धनुष्य को देखता है या गर्जना के शब्द सुनता है वह शीघ्र यम के घर जाता है। कौआँ, उल्लू या कांक पक्षी (जिसके पंख की बाण की पुंख बनती हैं वह) इत्यादि माँसभक्षी पक्षी सहसा जिसके मस्तक के ऊपर आकर बैठे तो वह थोड़े दिनों में यम के घर जायगा। सूर्य, चंद्र और ताराओं के समूह को जो निस्तेज देखता है वह एक वर्ष तक जीता है और जो सर्वथा नहीं देखता, वह जीये तो भी छह महीने तक ही जीता है। तथा जो सूर्य या चंद्र के बिम्ब को अकस्मात् नीचे गिरते देखे तो उसका आयुष्य निःसंशय बारह दिन का जानना। और जो दो सूर्य को देखें तो वह तीन महीने में मर जायगा। और सूर्य बिम्ब को आकाश में चूमते हए देखे तो उसका शीघ्र विनाश होगा अथवा सर्य को और स्वयं को जो एक साथ देखे उसका आयष्य चार दिन.
और जो चारों दिशा में सूर्य के बिम्बों को एक साथ देखे उसका आयुष्य चार घड़ी का जानना। अथवा अकस्मात् सूर्य के समग्र बिम्ब को जो छिद्रों वाला देखता है वह निश्चित दस दिन में स्वर्ग के मार्ग में चला जाता है। सर्व पदार्थों के समूह को जो पीला देखता है वह तीन दिन जीता है, और जिसकी विष्टा काली और खण्डित होती है वह शीघ्र मरता है। जिसने नेत्र का लक्ष्य ऊँचा रखा हो वह अपनी दो भृकुटियों को नहीं देखे तो वह नौ दिन में मरता है। ललाट पर हाथ स्थापित कर देखे तो यदि कलाई मूल स्वरूप में देखे, अति कृशतर-पतला नहीं देखे वह भी शीघ्र मरण-शरण स्वीकार करेगा। अंगुली के अंतिम विभाग से नेत्रों के अंतिम विभाग को दबाकर देखे यदि अपनी आँखों के अंदर ज्योति को नहीं देखे वह अवश्य तीन दिन में यम के मुख में जायगा। यदि अपने
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