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श्री संवेगरंगशाला
परिकम विधि द्वार-मृत्यु काल जानने के ग्यारह उपाय २०२ से २०७ तक आया है। इस तरह कुछ अल्प ही ज्योतिष द्वार का वर्णन किया है। अब स्वप्न द्वार को भी अल्पमात्र कहते हैं ।।३१८५।।। ८. स्वप्न द्वार :- विकराल नेत्रों वाली बन्दरी यदि स्वप्न में किसी तरह आलिंगन करे तथा दाढ़ी, मूंछ या बाल नख को काटे, ऐसा स्वप्न में देखे तो जल्दी मृत्यु होगी ऐसा जानना। स्वप्न में अपने को यदि तेल, काजल से विलेपन अंग वाला, बिखरे हुए बाल वाला, वस्त्र रहित और गधे या ऊँट पर बैठकर दक्षिण दिशा में जाता देखे तो भी शीघ्र मृत्यु जानना। स्वप्न में रक्त पट वाले तपस्वियों का दर्शन अवश्य मृत्यु के लिए होता है, और लाल वस्त्र युक्त स्वप्न में स्वयं गतिमान करते देखे तो भी निश्चय मृत्यु है। यदि स्वप्न में ऊँट या गधे से युक्त वाहन में स्वयं अकेला चढ़े और उस अवस्था में ही जागे तो मृत्यु नजदीक जानना। यदि स्वप्न में काले वस्त्रवाली और काला विलेपन युक्त अंग वाली नारी आलिंगन करे तो शीघ्र मृत्यु होती है। जो पुरुष जागृत होते हुए भी नित्य दुष्ट स्वप्नों को देखता है वह एक वर्ष में मर जाता है, यह सत्य केवली कथन है। स्वप्न में भूत अथवा मृतक के साथ मदिरा को पीते जिसको सियार के बच्चे खींचें, वह प्रायःकर बुखार से मृत्यु प्राप्त करेगा। स्वप्न में जिसको सूअर, गधा, कुत्ता, ऊँट, भेड़िया, भैंसा आदि दक्षिण दिशा में खींचकर ले जाएँ उसकी शोष के रोग से मृत्यु होगी। स्वप्न में जिसके हृदय में ताल वृक्ष, बांस या काँटेवाली लता उत्पन्न हो, तो वह गुल्म के दोष से नाश प्राप्त करता है। स्वप्न में ज्वाला रहित अग्नि को तर्पण करते. नग्न और सर्व शरीर पर घी की मालिश यक्त जिस पुरुष के हृदय रूपी सरोवर में कमल उत्पन्न हो, उसका कोढ़ रोग से शरीर नष्ट होगा और शीघ्र यम मंदिर में पहुँचेगा। और स्वप्न में लाल वस्त्रों को और लाल पुष्पों को धारण करते, हँसते हुए यदि पुरुष को स्त्रियाँ खींचें, उसकी रक्तपित्त के दोष से मृत्यु होगी। स्वप्न में यदि चण्डालों के साथ तेल, घी आदि स्निग्ध वस्तु का पान करता है, वह प्रमेह दोष से मर जाता है। स्वप्न में चण्डालों के साथ जल में डब जाता है. वह राक्षस दोष से मर जाता है। और स्वप्न में उन्मादी बनकर नाचते जिसे प्रेत ले जाता है, वह अन्तकाल में उन्माद के दोष से प्राणों का त्याग करेगा। स्वप्न में चन्द्र-सूर्य का ग्रहण देखे तो मूत्र कृच्छ रोग से मृत्यु होगी ।।३२०० ।। और स्वप्न में जो सुपारी अथवा तिलपापड़ी का भक्षण करे, वह उसी प्रकार वर्तन करते मरता है और जल, तेल, चरबी, मज्जा आदि का स्वप्न में पान करने से अतिसार के रोग से मरता है। जिसके स्वप्न में बन्दर, गधा, ऊँट, बिलाव, बाघ, भेड़िया, सूअर के साथ तथा प्रेतों या सियारों के साथ गमन होता हो, वह भी जाने कि-मरने की इच्छा वाला जानना। तथा लाल पुष्प वाले, मूंडा हुआ, नग्न यदि पुरुष को स्वप्न में चण्डाल दक्षिण दिशा में ले जाए और स्वप्न में जिसके मस्तक पर बांस की लता आदि उत्पन्न होने का सम्भव हो, पक्षी घोंसला डाले, कौआ, गिद्ध आदि सिर पर चढे. बैठे तथा स्वयं मंडन किया हुआ देखे. जिसको स्वप्न में ही प्रेत. अपने किसी सम्बन्धी को मरा हुआ, पिशाच, स्त्री या चण्डाल का संगम हो तथा बेत की लता, घास के या बांस के जंगल में या पत्थर वाली अटवी में अथवा कांटे वाले जंगल में, खाई में या श्मशान में यदि शयन करे अथवा राख में या धूल में गिरे, पानी या कीचड़ में फँस जाए और शीघ्र वेग वाले जल प्रवाह द्वारा बह जाता है तो मृत्यु अथवा भयंकर बीमारी आती है ।।३२०६।।
तथा स्वप्न में लाल पुष्प की माला को धारण करता, विलेपन करता है, वस्त्रभूषा पहनता तथा गीत गाता है, बाजे बजाता है या नृत्य क्रिया करे, स्वप्न में जिसके अंग का नाश अथवा वृद्धि होती है, गात्र का अभ्यंगन हो, तथा मंगल विवाह, हास्यादि क्रिया होती हो, यदि स्वप्न में मिठाई आदि भोजन को खाए, जिससे उल्टी या विरेचन हो, धन आदि या लोहा आदि कोई भी धातु की प्राप्ति हो, स्वप्न में शरीर के सर्व अंगों को लता
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