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________________ बृहद्गच्छ का इतिहास सन्दर्भ यह कृति आख्यानकमणिकोश (मूल) के साथ ही प्रकाशित है। इस सम्बन्ध में विस्तार के लिए द्रष्टव्य-अध्याय २, सन्दर्भ क्रमांक ५. २-३. वही, प्रस्तावना, पृ० ११-१२. वही. पं० लालचन्द भगवानदास गांधी, ऐतिहासिकलेखसंग्रह, श्री सयाजा साहित्यमाला, पुष्प ३३५, बड़ोदरा १९६३ ई०, पृ० १३३-३४. धम्मधरुद्धरणमहावराहजिणचंदसूरिसिस्साणं । सिरिअम्मएवसूरीण पायपंकयपराएहिं ॥९५।। सिरिविजयसेणगणहरकणिट्ठजसदेवसूरिजिट्टेहिं । सिरिनेमिचंदसूरिहिं सविणयं सिस्सभणिएहिं ॥१६॥ समयरयणायराओ रयणाणं पिव सयत्थदाराई। निउणनिहाणपुव्वं गहिउं संजत्तिएहिं व ॥९७|| पवयणसारुद्धारोरइओ सपरावबोहकज्जंमि । जंकिंचि इह अजुत्तं वहुस्सुआ तं विसोहंतु ॥९८॥ प्रवचनसारोद्धार की प्रशस्ति मुनि दर्शनविजय, सम्पादक- प्रवचनसारोद्धार, जिनाज्ञा प्रकाशन, वापी वि० सं० २०५४, पृ० २९८-९९. तथा आ० मुनिचन्द्रसूरि, सम्पा० - प्रवचनसारोद्धार, सुरत १९८८ ई०, पृ० ३३५-३३६. पंन्यास मुनि रमणीकविजयजी, सम्पा० पुहवीचंदचरिय, प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, ग्रन्थांक १६, वाराणसी १९७२ ईस्वी. ८-१०. वही, प्रस्तावना, पृ० १८ और आगे. ११. मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास, कण्डिका ३३२ १२-१३ पुहवीचंदचरिय, प्रस्तावना, पृ० १८. श्री जैनशासननभस्तलतिग्मरश्मि;, श्रीसचान्द्रकुलपद्माविकासकारौ । स्वज्योतिरावृतदिगम्बरडम्बरोऽभूत, श्रीमान् धनेश्वरगुरुः प्रषित; पृथिव्याम् ॥७॥ श्रीमच्चैत्रपुरैकमण्डनमहावीरप्रतिष्ठाकृतस्तस्माच्चैत्रपुरप्रबोधतरणैः श्रीचैत्रगच्छोऽजनि। तत्र श्रीभुवनेन्दुसूरिसुगुरुभूभूषणं भासुरज्योतिः सद्गुणरत्नरोहणगिरिः कालक्रमेणा-भवत् ।।८॥ मुनि चतुरविजय तथा मुनि पुण्यविजय, सम्पा० . Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004033
Book TitleBruhad Gaccha ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2013
Total Pages298
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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