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तालिका क्रमांक-५
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खोतनसूरि प्रथम सर्वदेवसरि
शांतिसूरि के प्राचार्षद ____ प्रदान करने वाले ।
शांतिसूरि को विधाम्यवन कराने | | वाले नगद के प्रवर्तक
अध्याय-३
ग्योतनसूरि दितीय के समकालीन स्वगळीच ५ माचार्य
द्योतकसूरि द्वितीय
यशोदेवसूरि
मानदेवसूरि
(स) देवसूरि
अजितदेवसूरि
मादेवसूरि 'प्रथम देवेनागणि अपरनाम मिलनसरि (आख्यानकमणिकोश, महावीरचरित
आदि के रचनाकार)
जिनदेवसूरि
जयसिसूरि
बसोमासूरि
मिवन सूरिश्रीचन्द्रसूरि
बनेश्वरसूरि विनमचंद उपा.
मन्य शिव
मानन्दसूति
हरिभद्रसूरि
भुवनचनासूरि
बनामसूरि मुनिचन्द्रसूरि (वि.सं. १९४९ में पूर्णिमागच्छ (बृहद्गच्छीय)
के प्रवर्तक)
शांतिसूरि (वि.सं. ११६१ में पुहवीचंदचरिय के कर्ता एवं पिप्पलगच्छ के प्रवर्तक)
मुनियन मुनि (नेमिचन्द्रसूरि द्वारा आचार्य पद प्राप्त शांतिसूरि से पृथ्वीचंद्रचरित की रचना की प्रार्थना करने वाले)
देवमणि
ज्योतनसरि
जिनचन सरि
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(वि. सं. ११७२ में बंघस्वामित्ववृत्ति, श्रेयांसनाथचरित एवं एवं आगामिकवस्तुविचारसारप्रकरणवृत्ति तथा वि.सं. १९८५ में प्रशमरतिप्रकरणवृत्ति के कर्ता)
नेमियन सूरि (आख्यानकमणिकोश एवं महावीरचरित
आदि के कर्ता)
बनसार
मानदेवसूरि (वि.सं. १९९१ में आख्यानकमणिकोशवृत्ति के कर्ता)
जगवनासूरि हरिमासूरि तपा०के आदि पुरुष (मुख्यपट्टपर)
विजयसेनसूरि
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हरिभामूरि
नेमिचन्द्रसूरि पशोदेवसूरि गुणाकर (पट्टधर) (प्रवचनसारोद्धार
तथा वि.सं. १२१६ में अनन्तनाथचरित के रचनाकार)
पादिव (प्रसिद्ध रचनाकार)
द्ग
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विजयचन्द्रसूरि
देवेन्द्रसूरि
समन्तमासूरि
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-पूर्णिमागळ-----
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पिप्पलगच्छ----------
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-तपागच-पादपोशालिकशाला
-तपागच्छ-लघुपौशालिकशासा
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